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Saturday, October 10, 2009

ब्लागरों की कडवाहट कम होती है क्या ? अगर नहीं तो खिलाओ जलेबी पर वीडियों कैमरे से दूर होकर .......

कडवाहट इतनी बढ़ गयी है कि अब तो मिलना ही होगा .........पर भाईयों मेरे पास न तो वीडियो कैमरा है और न ही कोई ऐसा इलेक्ट्रानिक उपकरण जिससे आपकी फोटो या वीडियो बनाया जा सके ...........क्योंकि कुछ लोगों ने मिलने के लिए ये उपकरण की अनिवार्यता पर जोर दिया था । अरे हां आप ये ना समझिये कि आपका स्टिंग आपरेशन या कोई ऐसी क्लिप बनायी जा रही है जो कि सार्वजनिक करने पर आपका कोई फायदा या नुकसान होना वाला है । दुबे जी ने जलेबी समारोह कर एक नयी पहल की है जहां पर आप अपने गिले शिकवे में मिठास घोल सकते हैं । हम सभी एक मंच पर होते हुए भी अपनी बात को सही तरीके से नहीं कह पा रहे हैं ..................या यों कह लीजिये कि कहना ही नहीं चाहते । वैसे एक कहावत है कि " जब एक टोकरे में कई बर्तन होगें तो खनकने की आवाज तो आयेगी ही " । तो बंधुओं खनखनाहट तक बात समझ में आती है लेकिन जब टकराहट होती है तो स्थिति पूरी तरह से बदल जाती है । ऐसे में आपस में बातचीत करके ही मसले को सुलझाया जाना चाहिए ।

ऐसे में एक शेर अर्ज है -
" मत पूंछ क्या हाल है ? मेरा तेरे आगे

ये देख क्या रंग है ? तेरा मेरे आगे ।।

विचारों को सम्मान देना हम सभी हो सीखना होना और जो सीखे सिखाये हैं उन्हें इसका पालन करना होगा तभी तो हम आपस में भाईचारा कायम कर सकेंगें । तू तू मैं मैं का दौर अब बंद करना होगा और यह मर्यादित ब्लागर की भूमिका अदा करना होगा ।

3 comments:

Mithilesh dubey said...

अरे भाई जी यही हाल तो मेरा भी है इसीलिए मैंने सोचा कि कोई नया तरीका अपनाया जाये जिससे थोड़ी कड़वाहट भी दूर हो जाये पर यहाँ तो ज्यातादर लोग डायबटिज के मरीज निकले। लेकिन तब पर भी मेरी जलेबियां लोगो ने छक के खाये क्योंकि शुगर फ्री जो था।

हिन्दी साहित्य मंच said...

जलेबी खिलाईये हां चीनी का ख्याल करके कई रोगी शामिल है .......................

Bhoopendra pandey said...

bahut acchee bat likhee hai aapne. aapse puree tarah sahmat hu .