तुझसे दूर जाना चाहता हूँ,
अपने ही वादे से मुकरना चाहता हूँ,
जो साथ -साथ बिताये हमने पल जिंदगी के,
उनके ही सहारे जीवन बिताना चाहता हूँ,
तुमसे प्यार किया था मैनें बहुत ही,
तुमको चाहा था बहुत मैंने ही ,
और
अब दूरियों को बढ़ाना चहता हूँ ,
मेरी जिदगी से तुम चली जाओ..
और
कभी लौट के न आओं के ,
सारे रासते तलाशता हूँ।
तुम भी खुश थी उन दिनों ,
और
मैं भी खुश हुआ करता था,
बात करने के सारे जतन किया करता था ,
खत जो न आये तेरे तो ,
हर सुबह उन बेजान गलियों को तकता था,
उस दौर से निकलना चाहता हूँ ,
तुमको भुला के एक नये जीवन को पाना चाहता हूँ ,
तुम खुद हीचली जाओ तो बेहतर हो
वर्ना
मैं खुद को मिटाने के सारे कायदे जानता हूँ।
एक नया सफर चहता हूँ ,
तुमको भुला के चलना चाहता हूँ।
और अपने सारे वादे से मुकरना चाहता हूँ।
तुमसे दूर बहुत दूर जाना चाहता हूँ।
10 comments:
acchi kavita hai prem ke sanyog aur viyog dono hi dashaon ka achha varnan kiya hai.
mujhe ye line kafi pasand ayi-
tum khud hi chali jao varna,
mai khud ko mitane ke sare kayde janta hun.
kavita vastvikta ke kafi kareeb
asahya sthiti hi nikalne ko baadhya karti hai,
bahut badhiya prastut kiya hai manobhawon ko........
कृपालु जी
बहुत ऊँचे जा रहे हो. शादी करलो कवीता में जान आ जायेगी
मैं तो सोच रहा हूँ ऐसे :.......................
तेरी दुनीया से दूर हो के मजबूर हमें याद करना
जाना कहीं भी सनम,खाना केले हरदम हमें याद करना
याद ............ आ रही है याद आ रही है
तू जैसी भी हो तेरी याद आ रही है
क्यों आ रही है?
क्यों की सुबह से रोटी नहीं मीली
मालीक की डांट मीली,
घर से नीक्ला दुर्घटना घटी, घर में घुसा बीबी गुस्सा मीली
बाकि कया बचा था तेरी यादों के सीवा
इस लीये याद आ रही है.
तू डांटती थी काटती थी, लड़ती थी, झगड़ती थी
फीर भी मेरेको माफ़ तो करती थी
सुबह से दीन ख़राब था, मेरा खाना ख़राब था
इसलिए तू याद आ रही है
bahut hi achha vishay hai.is kavita me premiyon k door jaane ka bada hi sunder varnan hai.viyog ki dasha me ek premi ka kathan kya hona chahiye ise padhkar pata chalta hai.Ati sunder rachna...........
अगर यह एक कविता के रुप मे हे तो बहुत ही सुन्दर हे, लेकिन अगर तुम सच मे ही इस कविता मे ढल रहे तो तो गलत हे,
मे जिन्दगी का साथ निभाता चला गया...
निशु जी आपने ''तुझसे दूर जाना चाहता हूँ..... '' कविता में मन कि अभिव्यक्ति अच्छी दी है ....... पढ़ने वाले को भी काव्य में डूबने ka आनंद दिलाती है यह रचना ..... शुभकामनाएं....
wish you good luck..
बहुत अच्छी लिखी है नीशू जी आपने...
नीशूजी
बहुत संवेदनशील है आपकी रचना
गहराई से लिखी रचनायें निश्चित रूप से अपना प्रभाव छोड़ती हैं.
तुमको भुला के एक नये जीवन को पाना चाहता हूँ ,
किसलय
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