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Sunday, August 9, 2009

काहे कि चिल्लम चिल्लू रे ...........................हां

हे काहे का चिल्लम चिल्लू ????? हां किसने क्या कह दिया ? अरे ये तो रोज ही कुछ न कुछ कहते रहते हैं इनका क्या ? धरम का ठेका तो इन्हीं के हाथ है भैया .........हां बात तो आपकी ठीक है पर क्या यही सबके ठेकेदार है कि जो आया वही बक दिये और वहीं होगा भी ? बक तो दिये है और होगा कि नहीं यही देखना है ........पर इनका जो इतना प्रभाव कि जब चाहें दंगा भडका दे , जिसका चाहें रेप करावा दें ज्यादा से ज्यादा मुकदमा होगा या कुछ दिन सरकारी बिल्डिंग में ही तो बीतेगा पर इससे इनका फायदा ही भाई । अच्छा है । पर एक बात बताइये जब आप एतना जानते हैं को काहे मरे जाते इन लोगों के पीछै ? करें भी क्या धरम भी तो न बदला जाता है भईया ......ठीक कहते पर ऐसा भी क्या कि जान दे दें आंख मूंद कर । और आप ही बताइये अयोध्या काण्ड में क्या आप न गये थे ? गये तो थे ही पर आज लगता है कि नाहक ही गया .... किसी तरह से जान बच गयी मेरी तो पर भोला और काशी तो बेचारे न बच सके । आज भी उनका चेहरा आंखों के सामने वैसा ही दिखता है । मन खिन्न हो जाता है , दुख से ग्लानि होती है पर जो समय अब नहीं लौट सकता बस पर क्या पछतावा कर कुछ मिलेगा । बात तो आप भी वहीं कहते हैं जो मैं कह रहा हूँ फिर भी हम धरम के आगे आंख तो बंद नहीं कर सकते । देखिये मैं आंख मूदने की बात न कहता हूँ पर आप ही बताइये गोधरा में जो हुआ वो तो गलत था कि नहीं ? देखिये आपकी बात से मैं सहमत होते हुए भी सहमत नहीं हूँ ? अच्छा तो बताइये क्यों नहीं सहमत नहीं हैं । वो ऐसे कि जब कोई हमें गाली देगा तो हम भी भला चुप कैसे बैठ सकते हैं ? एक मिनट इसका मतलब कि यह लड़ाई जो हुयी सही थी । नहीं कतई नहीं ? आपका दोनों ओर झुकना मैं नहीं समझ पा रहा । ठीक बात कहते हो पर जब मेरी उमर के होगे तो समझ जाओगे । हूँ .........

पर मैं आपसे आज कह दे रहा हूँ कि जो सोच आज है मेरी वही आगे भी देखियेगा । मैं किसी कठमुल्ला की ऐसी तुच्ची और दकियानूसी और आग लगाने वाली बातों का समर्थन कभी न कर सकूंगा । और किसी की जान न ले सकता हूँ और न जान दे सकता हूँ चाहे मेरा धरम ही क्यों न चला जाय ।। ये तो अपनी अपनी सोच है ? ठीक कहते हैं ............... मैं भी यही मानता हूं ............अच्छा अब चलता हूँ आपक खुद ही समझदार है कि सही और गलत क्या है ? राम राम

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