किसी ऐसी नब्ज को पकड़ो जिसमें घाव हो तो दर्द कुछ ज्यादा ही होता है ........मैं किसी धर्म या मजहब की हिमाकत नहीं करता है पर लोगों की राय कहीं न कहीं इस बात पर सोचने पर आज भी मजबूर करती है कि धर्म एक मुददा है जिसको पकड़कर अच्छा नाम और दाम दोनों कमाया जा सकता है ..............काश कि मैं ऐसा करता तो शायद कुछ न कुछ अपना स्वार्थ सिद्ध कर पाता ।
हर मुसलमान आतंकवादी है क्या ? यहां पर आतंक को धर्म से जोड़ते है बहुत से लोग और मैंनें इस बात को कभी समर्थन नहीं किया है कि मुसलमान ही केवल आतंकवादी है .............कई लोगों का प्रश्न है कि फिर क्यों हर आतंकवादी मुसलमान क्यों है ? इसका सीधा सा उत्तर यह है कि हमारा नजरिया।।। हम क्या देखना चाहते हैं और क्या समझना चाहते हैं । बात मैं कश्मीर से जुड़ी हुई करता हूँ कि वहां पर मरने वाला मुसलमान क्या आतंकवादी होता है ? शायद इसका जवाब आप के पास हो ।
आतंक का कोई मजहब नहीं होता है यह कथन आपने तो सुना होगा .............बम जब फटता है तो वह यह नहीं देखता है कि कौन मुसलमान है और कौन हिन्दू ? अब शायद आप यह भी पूछेंगें कि - हर वो बम जिन हाथों से फूटता है वह मुसलमान का ही क्यों होता है --? यहां मेरा मानना है यह सिर्फ मात्र संयोग और इत्तेफाक ही है । जो हमें देखने को मिलता है । कहा जाता है कि एक मछली अगर गंदी है तो तालाब ही गंदा कहा जाता है । किसी देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए सिर्फ किसी धर्म को निशाना बनाया जाना पूर्णतः गलत है ।।
किसी ने मुझे अपनी राय दी कि आप भी फलां मोहतरमा की तरह ही राहे कदम पर चल रहे हैं । तो मेरे भाऐ अपना विचार देना या व्यक्त करना क्या गलत है ? अगर है तो फिर बात ही क्या ?
18 comments:
nishu ji acchi soch hai ......mughe lagta hai ki ye mudda kafi gambhir mudda hai .. jiss per salo se bahas ho rahi hai... maine sun rakha hai ki jab aadmi kisi vishes mudde ko lekar gambhir ho aur dunia kisi ek mudde ko lekar apni pratrikriya dene me koi kor kasar nahi chod rahi ho tab aise me kahin na kahin dil me ek samshay toh paida hota hi hai.........kya .... dhanyavaad
बहुत अच्छा आलेख ।
नीशू जी , आपके विचार बहुत ही उन्दा है । बधाई इस आलेख के लिए ।
नीशू जी , धर्म और भेदभाव को मिटाना चाहिये । आतंकवाद किसी धर्म का ही नहीं होता यह मानवता का दुश्मन है ।
नीशू जी , धर्म और आतंकवाद पर आपके के द्वारा लिखा गया आलेख बहुत अच्छा लगा। मुद्दा काफी गम्भीर है। प्रशंसनीय कोशिश।
हमारे काफ़ी दोस्त मुसलमान है ,लेकिन जितने भी आतंकी हमले होते है इन मै ९७% मुसलमान होते है करण कोई भी क्यो ना हो, आप ने पिछले लेख मै भी कुछ ऎसा ही सवाल किया था, मै आप से एक सवाल करता हुं, क्या किसी मुसलमान ने कभी किसी गेर धर्म बाले को किरायेदार रखा है??
अतांकवादी का कोई धर्म नही होता, लेकिन किसी एक खास धर्म से ही फ़िर क्यो ज्यादा आतांकवादी आते है??? कारण तो कोई होगा ही.
इस समय जो स्थिति है दुनिया मै वो किसी से छुपी नही
यहां मेरा मानना है यह सिर्फ मात्र संयोग और इत्तेफाक ही है संयोग या इत्तेफ़ाक एक बार दो बार तीन बार हो सकता है हर बार नही, अलग अलग देशो मै नही,मरने वाला कोई भी हो ,लेकिन मारने वाला कोन है यह देखा जाता है
aapne dharma aur aadankvad pe kendrit aik acchha lekh likha hai. badhai. kabhi waqt mile to mere blog par aayen.
आपने सही कहा देखने वाले का नजरिया जैसा होगा, नजारा भी वैसा ही दिखेगा. याद रखें आँखे बँद कर लेने पर अंधेरा हो सकता है, मगर वास्तव में रात नहीं होती. आँखे खोल लो....
अभी जो प्रभाकरन मारा गया था सपरिवार, वह इसाई था, पहले हिंदू था, बाद में उसने धर्म परिवर्तन कर लिया।
इसी तरह इंदिरा गांधी को मारनेवाले सतवंत सिंह और बीएंत सिंह सिक्ख थे, भिंदरावाले भी सिक्ख था।
समझौता एक्सप्रेस बम कांड से जुड़ा पुरोहित तथा उसके सहयोगी हिंदू थे।
इस तरह आतंकी हर धर्म के लोग हो सकते हैं। वास्तव में उनका धर्म से कोई वास्ता ही नहीं होता, जिस तरह के धर्म को हम आप पहचानते हैं, उससे।
बालसुब्र्मनियम जी, आपने एक बहुत अच्छी बात कही है, इसी को आगे एलेबोरेट करते हुए कुछ कहना चाहूँगा, गौर फरमाइयेगा ( ऐसे इलाके से बेलोंग करता हूँ जहा छोटे आकार के कड़वे करेले बहुतायात होते है और बचपन में मैंने बहुत खाए है, इसलिए अगर ,मेरी जुबान किसी सज्जन को कड़वी लगे तो अडवांस में क्षमा मांगता हूँ )
.....................................................................................................................................क्रमश:-पोस्ट २
बलासुब्र्मानियम जी ने जो बात कही वह यह कि हर धर्म में आतंकवादी है ! मैं उनकी इस बात का १००% समर्थन करता हूँ , यह बिलकुल सत्य है कि आतंक्वानी हर धरम में है, यह कहना सरासर गलत है कि कि हर आतंकवादी सिर्फ मुसलमान ही होता है ........................................................पोस्ट 3
बलासुब्र्मानियम जी ने जो बात कही वह यह कि हर धर्म में आतंकवादी है ! मैं उनकी इस बात का १००% समर्थन करता हूँ , यह बिलकुल सत्य है कि आतंक्वानी हर धरम में है, यह कहना सरासर गलत है कि कि हर आतंकवादी सिर्फ मुसलमान ही होता है ........................................................पोस्ट 3
`चूँकि यहाँ पर मौजूद ९५ % पाठकवर्ग सिर्फ हिन्दुस्तान से ही है ( ५ % पकिस्तान से भी है यह मत भूलियेगा ) अतः यह बात याद दिलाने में आपको ज्यादा दिक्कत नहीं होगी कि आप लोगो ने अपनी ऐतिहासिक किताबे पढी होंगी और न पढी हो तो अपने घर में बड़े बुजुर्गो से राक्षसों की कहानिया तो जरूर सूनी होंगी ...........................पोस्ट 4
जब आपने पढ़ा, देखा, सुना कि रावण की लंका में राक्षश रहते थे, जो कोई भी छद्म भेष धारण कर लेते थे, जिनके लिए कायदे और सिद्धान्य की कोई कीमत नहीं थी, जिनका कोई धर्म नहीं था, उनका एक ही धर्म था, लोगो को धोखा देना ! तो जरा गौर फरमाए , आपने कभी सोचा कि वे राक्षश कौन थे और अचानक कहाँ गायब हो गए. जबकि यह मानवता हजारो सालो से चली आ रही है ? जी जनाव, वे कहीं गायब नहीं हुए, वे हमारे बीच ही मौजूद है क्रमश ......................पोस्ट-5
तो अब सवाल उठता है कि वे राक्षश लोग है कहाँ ? तो मेरा सीधा सा जबाब है कि वे यही तो है ! आप इनकी समानता ठंडे दिमाग से उस प्राचीन काल के राक्षश से करे, आप पावोगे कि उनकी हरकतों और इनकी हरकत में जरा भी अंतर नहीं है ! छद्म भेष धारण कर किसी सार्वजनिक स्थान पर बम लगा देना ! निर्दोष की जान ले लेना, दूनिया भर का झूट बोलना, धर्म की आड़ लेकर निर्दोषों का कत्ल करना ( कल पकिस्तान अफगानिस्तान सरहद पर मस्जिद में जो बम लगाया गया था, और जिसमे नमाज पढ़ते कर्रेब ४० निर्दोष मुसलमान जिन्दगी से हाथ दो बैठे वह बम किसने लगाया था ? इन्ही राक्षश ने, जो कहने को मुसलमान होते हुए भी जिनका कोई धरम नहीं है !
क्रमश..................................!
तो इस तरह के राक्षश सभी धर्मो में मौजूद है, लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि जब छटी सदी पुर्व धर्मी इंसानों से लड़ते हुए वे अधर्मी राक्षश परास्त होकर बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे तो प्रोफेट द्वारा बनाए गए नए धर्म में इंट्री शुल्क न होने, यानी कि हर तरह के इन्सान( जिसमे इंसान के भेष में राक्षश भी शामिल थे ) के लिए वह धर्म अपनाने की खुली छूट की वजह से ( जैसा कि आजकल अमूमन किसी राजनैतिक पार्टी में देखने को मिलता है ) और अनेको लोक लुभावने लौलिपोप्स (जैसे ४ बीबिया रखने ) के चलते ज्यादातर राक्षश वहां घुस गए ! और आजकल जो कुश आपके समक्ष है वह सब इन्ही की बन्शानुगत उपज है !
इसीलिए हम लोगो को लगता है कि सारे आतंकवादी मुसलमान .................... लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि इस धर्म में अब्दुल कलाम जैसे महापुरुष भी है जो आपको आजके हिन्दू, इसाई धरम में ढूंढें नहीं मिलेंगे ! इसलिए यह कहना सरासर गलत है कि सारे मुसल........ टंकण त्रुटियों के लिए क्षमा !
राज जी ने इतनी पते की बात कही है. मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूँ. यहाँ तक की अमेरिका में भी मुसलमान (खासकर पाकिस्तानी) सिर्फ मुसलमानों की दूकान से ही सामान खरीदते हैं..
नीशू जी, आप के पास है कोई जवाब??
बालसुब्रमन्यम जी से भी एक प्रश्न:
ज़रा यह भी गिने की कितने हिन्दुओं में से कितनों ने आतंकवाद का काम किया. % निकाले... आपको उत्तर शुद मिल जाएगा.
और फिर ईसाइयों में भी ऐसे ही गिनती करें.. वहाँ भी आपको % से १००% उत्तर मिल जाएगा..
मानता हूँ की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता..
पर यदि अभी ज्यादातर हिन्दू ऐसा करने लगे तो देखिये सब नहेंगे हिन्दू आतंकवादी होते हैं..
अरे ज़रा सा भी हिन्दुओं के पक्ष की बात कर दो तो कट्टरपंथी का लेबल लग जाता है.
नीशू जी:
ज़रा अपनी पैनी निगाहों से देखें और बताएं...
१) क्यों ९९% आतंकवादी मुसलमान होते हैं?
२) क्यों नहीं कोई बड़ी मुस्लिम संस्था उनके खिलाफ "फतवा" जारी करती है?
३) क्यों आज भी काश्मीर में हिन्दुओं के लिए जगह नहीं और कोई मुस्लिम संस्था उनके लिए ज़रा सी भी हमदर्दी रखती है?
४) क्यों ये उठ खड़े होते हैं उन बमों के खिलाफ जो फटते समय यह नहीं देखते की मरने वाले कौन से धर्म के और कौन सी उम्र के हैं?
ऐसी पैनी निगाहें किस काम की जो (जैसा संजय जी ने कहा) किस काम की जो बंद कर ली जाएँ और दिन को रात समझ लें?
~जयंत
स्पष्ट कर दूँ...
कि मेरा मानना है...
९९% आतंकवादी मुसलमान होते हैं,
पर यह भी नहीं की सारे मुसलमान आतंकवादी हों..
समझने का प्रयास करें.
~जयंत
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