बात अभी 6 जून की है मैं निकला अपने दोस्त के साथ दरियागंज कुछ पुस्तक खरीदने । इस बार भी मैं वही टी-शर्ट पहन रखी थी " गाड इज बिजी " वाली । करीब 7 बजे दरियागंज से नोएडा के लिए ३४७ रूट की बस पर चढ़ता हूँ । बस खचाखच भरी है पर किसी तरह से अंदर घुसता हूँ । मेरा दोस्त अपने घर दूसरी बस से चला जाता है । जैसे ही बस एक स्टैण्ड आगे बढ़ती है । तभी चार पांच युवा बस पर चढ़ते हैं और मेरे पास आकर खड़े हो जाते है । बेढ़गे तरीके से मैं कहता हूँ कि यार ठीक से खड़े रहो । कुछ धक्का मुक्की ज्यादा ही हो रही थी । ऐसे में मैंने अपनी जेब टटोली तो पीछे की जेब में पर्स तो थी पर आगे की जेब से मोबाइल गायब । मैंने कुछ भी ना सोचा और जो लड़का मेरे पास था उसको पकड़ कर उसका मोबाइल जेब से निकाल लिया । और कहा जब तक मेरा मोबाइल नहीं देगा मैं भी तुम्हारा ये मोबाइल नहीं दूंगा । तभी उनमें से एक ने कहा आपका मोबाइल नीचे गिरा है । मैंनें अच्छा क्या बात अभी अभी जेब में और अभी नीचे । फिर इसी बातों में कुछ हाथा पाई हो गयी । पूरी बस में करीब १५० से ज्यादा लोग सवार थे किसी ने कुछ भी न कहा । मैं अकेला कुछ न कर सका और वो चोर भाग गये । इसी बीच उनमें से किसी ने मेरे पीठ पर ब्लेड से वार कर दिया था । खुन कुछ देर निकला ।मैंने तुरंत १०० नं डायल किया पर दिल्ली पुलिस नहीं आ सकी समय पर । मैं अपने कमरे पर आया तो पुलिस जीप आयी पूरी वारदात मैंने बताई । बाद में मामला दब गया । मेरा मोबाइल मेरे पास है कुछ चोट जरूर आयी है । इसलिए खुद से किसी समस्या को हल करो यही संभव है । वर्वा कुछ भी न हो सकेगा । क्योंकि " गाड इज बिजी ...............नो हेल्प यू " । अपनी मदद खुद करो ।
जन संदेश
Tuesday, June 9, 2009
" गाड इज बिजी ...............मे आई हेल्प यू "................अपनी मदद खुद करो..(जीवंत घटना दरियागंज की)
इन दिनों गर्मियां शुरू होने से पहले पालिका बाजार जाना हुआ था तो सामने एक टी-शर्ट सफेद रंग की दिख गयी । जिसमें कुछ शब्द लिखे थे - " गाड इज बिजी............. मे आई हेल्प यूँ " यह कोटेशन देख मै उत्साहित हुआ और कुछदेर मोल भाव कर टी-शर्ट अपने कब्जे में कर लिया । उस टीशर्ट पर लिखे हुए शब्दों को देख कई बार लोगों ने कहा बिल्कुल सही मैसेज है यह । एक बार जिया सराय जाना हुआ तो एक आदमी भगवत गीता बेच रहा था । मेरी तरफ देखता है कुछ कहने को होता है तभी मैं हाथ जोड़ सर झुका कर बिना बोले आगे बढ़ जाता हूँ । दूसरी बार जब उसी रास्ते से वापस आता हूँ तो वही व्यक्ति शायद मेरी टी-शर्ट पर लिखे कोटेशन को पढ़ लेता है और मेरी तरफ देख कर हंसता है । बदले में मैं भी मुस्करा देता हूँ ।
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15 comments:
han bhai thik hi kehte ho god is busy may i help you. Ap ne ek sahsik karya kiya jo dusro ke liye prerna ka kam karegi. ya bhi acha laga ki self depend hone hi acha hota hai .
नीशू जी , सच में आज हम किसी भी समस्या को देखकर मुंह छिपा लेते हैं । जबकि उससे लड़ना चाहिए लोगों को । आप अब कैसे हैं ? साहसिक प्रयास किया आपने ।
भगवान , पर कुछ भी छोड़ हम समस्या से बचने की कोशिश करते हैं। किसी भी समस्या से खुद लड़ना होगा भगवान कुछ करने नहीं आयेगें । मानवता और इंसानियत आज खत्म हो गयी है । किसी को क्या गरज है जो गलत काम देखर कर आवाज उठाये । आप अपना ख्याल रखिये । बहादुरी आपने दिखा ही दी ।
lekh achchha laga.. utsah vardhak bhi.. :)
Thanks
नीशू भाई , यह जानकर दुख हुआ कि आपको चोट लगी है । आपने जो किया वह बहुत सही किया शायद कुछ ही लोग ऐसे हैं जो ऐसा करें । कम से कम एक सबक दिया है उन चोरों को । अपनी मदद खुद ही करनी होगी यह बात सही है कोई हेल्प नहीं करने वाला है ।
god ne hamen hath diye hain ,hathiyar bhi diye hain aur himmat bhi dedi hai ...aur kya chahte hain hum ki god aakar hamaare liye lade aur humj baith kar moongfali khaayen ?
aji chhodiye..........god ne koi supari lee hai kya gundon ko maarne ki....
HIMMAT-E-MARDA
MADAD-E-KHUDA
अच्छी सीख देता हुआ यह जीवंत प्रसंग । प्रयास खुद करो । बधाई
achha sansmaran hai aaj kal police to naam ke liye hi hai khud hi apni suraksha karni padti hai abhar
achha sansmaran hai aaj kal police to naam ke liye hi hai khud hi apni suraksha karni padti hai abhar
घटना तो दुखद थी। लेकिन आपने जिस ढंग से प्रस्तुत किया है वह प्रेरक बन गई है।सही संदेश है अपनी मदद खुद ही करनी पड़ती है।
हम भी ऐसी ही गलतफहमी में रहते थे। पर अब........। वैसे जो हुआ ठीक नही हुआ। अब चोट कैसी है। टेक केयर दोस्त।
नीशू भाई आप ने बहुत अच्छा किया,लेकिन इतने सारे लोग बेठे थे, यह क्यो नही बोले ? अरे कल फ़िर से वो इन मै से किसी ओर को पकड लेगे, बाकी फ़िर हिजडो की तरह से बेठे रहेगे,
इसी तरह की कहानी कुछ मेरे संग हुयी थी, तब भी मै अकेला ही लडा था, बाकी सब हिजडो की तरह से देखते रहे थे, इस लिये मैने तब यह यह तय किया कि मेरी कोई मदद करे या ना करे, लेकिन मै सब कि मदद जरुर करुगां.
धन्य्वाद
accha lekh hai neeshoo bhai.
अक्षय-मन
आपने जिस तरीके से सघर्ष किया वह काबिले तारीफ है, सभी लोगो को इस प्रकार एक दूसरे का विपत्ति के समय हथा बटाना चाहिये।
लगभग कुछ ऐसा ही
मेरे साथ 25 या 30
बरस पहले हुआ था
पर तब मोबाइल
नहीं हुआ करते थे
पर अपनी मदद
आप यानी अपना
हाथ जगन्नाथ
वरना अनाथ।
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