और जब इतना सारा समय अभी बाकी पड़ा है जो काहे की जल्दबाजी । और वैसे अगर ये सारे काम सौ दिन में हम कर ही देगें तो हमें करने के लिए बचेगा क्या ? और फिर अगली बार भला कैसे वोट मांग पायेंगें । कुछ तो मुद्दा होना चाहिए न फिर से पार्टी में बहस को गरम करने के लिए । और कोई आफत तो आ नहीं रही है कि अगर ये काम सौ दिन में नहीं होते हो ग्रह दशा बदल जायेगी । इसलिए हम आजकल बहुत टेशन में हैं । कि आखिर करें तो क्या करें ।
जन संदेश
Monday, June 15, 2009
बहुत टेंशन में हैं ........आखिर सौ दिन में ही क्यों ?
अरे भई आजकल बहुत टैंशन में हैं । का करे अब शपथ तो ले लिया हैं साथ में सौ दिन का काम । अब तो ठहरे आराम पसंद इंसान तो फिर काहे की जल्दी है भाई । जब पूरे पांच साल रह कर अपनी कुर्सी पे बैठ पेट सहलाना ही है तो काहे कि अफरा तफरी । कहा कि भागम-भाग । अब किस किस से कहें अपना दर्द । अभी तो चैन से सो बी नहीं सके हैं । चिल्ला के जनता के कानों में जूँ जो रेंगाया है तो अब कुछ आरामा तो करना ही है । ऐसे सौ सौ दिन का ये भोपूं तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा है । और वैसे भी हमारी एक फितरत है कि हम जो कहते हैं भला उसे अगर पूरा कर ही दें तो काहे के नेता रह जायेंगें ।
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मीडिया व्यंग्य
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10 comments:
जब भी कोई नया मुल्ला सत्तासीन होता है तो पहले पहले सबको सौ दिन की गिनती का पाठ पढ़ते है फिर सौ दिनों के बाद ......हासिल आई शून्य वाली कहावत
क्या करियेगा..बने रहिये टेंशन में. :)
ारे नीशू जी आप मत लो ना टेन्शन सरदार जी हैं न
:)
ha ha ha
tension men rahoge to pension milegi.
accha vyang hai
ha ha nishu ji bahut khub . accha likha hai aapne .
nishu ji hamesha ki tarah iss bar bhi lajwab aap ka lekhan . badhai . mja aa gya
bahut khub
अरे ज्यादा टेंशन मत पालो :) :)
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