जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Friday, August 31, 2007

हंसगुल्ले


आज के इस व्यस्त जिन्दगी मे हंसना भी जरूरी है सो पेश है कुछ हंसगुल्ले आपके लिए------------

१- दो व्यक्ति मरने के बाद यमलोक पहुँचे। वहाँ पहुँचकर पहले ने दूसरे से पूछा-'तुम कैसे मरे थे?'
दूसरा व्यक्ति बोला- ' क्या बताऊं यार मैंने अपने घर में चोर को घुसते देखा था । जब मै घर में अंदर पहुचा, तब तक चोर कहीं छिप गया। मैंने उसे कहां -कहां नही खोजा पर वह मिला नहीं। इसी हैरानी से मैं मर गया।'
इस पर पहले व्यक्ति ने कहा-' अरे यार तुम अगर फ्रिज खोल के देख लेते, तो न मैं मरता और न तुम। हा----
२- मोहन- मैं ऐसी जोशीली कहानी सुना सकता हूँ कि सिर के बाल खड़े हो जाय।
सोहन -तो उस गंजी को सुनाओ ।
३- ग्राहकः यह मच्छरदानी कितने की है।
दुकानदारः सौ रूपये की। साहब, इसमें कोई मच्छर नहीं घुस सकता ।
ग्राहकःमुझे नहीं लेनी। जब इसमें मच्छर नहीं घुस सकता , तो मैं कैसे घुस सकता हूँ।
४-राजेश- सुशील सेः यार, आज तो मैं सारा पेपर खाली ही दे आया हूँ । एक प्रश्न भी नही हल किया।
सुशीलः मूर्ख यह क्या किया तूने? अब निरीक्षक यहीं समझेगें की तूने मेरी नकल की है।
५- बराती दूल्हे को घोड़ी पर रस्सी से बाधकर ले जा रहे थे। एक व्यक्ति ने पूछा- जनाब इसको रस्सी से क्यों बांध रखा है?
एक बाराती बोलाः यह दूल्हा असल में भिखारी है। जब भी कोई पैसे फेंकता है, तो यह घोड़ी से उतर कर पैसे बटोरने लगता है

Thursday, August 30, 2007

मीडिया पर लगाम लगाना कितना जरूरी है?


आप ने कभी सोचा है कि मीडिया जो कुछ हमें टी वी पर दिखाती है उसमें क्या दिखाना चाहिए, क्या नही दिखाना चाहिए? मीडिया हमें हमारे आस-पास से लेकर , राष्टीय और अन्तरराष्टीय खबरों से अवगत कराती है यहाँ तक तो ठीक है परन्तु अब प्रतिस्पर्धा के कारण टी वी चैनल अपने स्वार्थ के लिए मानवता का गला घोटते है। जब हम किसी को आत्मदाह करने का सजीव प्रसारण देखते है या फिर किसी महिला की नग्न तस्वीर देखतें हैं या फिर किसी चोर या अपराधी को पुलिस द्वारा मोटर साइकिल मे बांधकर घसीटते दिखाते है ,तो प्रश्न यह उठता है कि इस जगह पर उस पत्रकार को मदद करनी चाहिए या कि खबर की कवरेज दिखाई जानी चाहिए ।यहाँ यह सोचना जरूरी हो जाता है कि जो कुछ भी चैनल दिखा रहे हैं उसका समाज पे क्या प्रभाव होगा?
अतः इस प्रकार निष्कर्तः यही कहना हे कि भारतीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय को इस प्रकार के टी वी चैनल पर रोक लगानी चाहिए जो की अपने फायदे के लिए कुछ भी परोस सकते है जो की गैर जिम्मेदाराना हैं मंत्रालय को एक प्रासरण के लिए आचार संघिता बनाना चाहिए तथा साथ ही साथ कानून को प्रभावी ढ़ग से लागू भी किया जाना चाहिए ताकी मीडिया पर शिकंजा कसा जा सके और मनमाने रवैये को परिवर्तित किया जा सके।

नेहरू कप पर कब्जा


भारत का नेहरू कप फुटबाल के फाइनल में सीरिया को १-० से हरा कर ओनजीसी नेहरू कप जीत कर अन्तर्राष्टीय टूर्नामेंट जितने मे सफलता प्राप्त की। भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान वाई चुग भूटिया इस जीत से काफी उत्साहित दिखे। वैसे सीरिया और भारत कामैच एक तरफा होने की उम्मीद थी क्योंकि सीरिया फीफा विशव रैकिंग में भारत से ४० पायदान ऊपर है भारत में फुटबाल की स्थिति बहुत ही दयनीय है परन्तु यह कप जीत कर एक नयी आशा की किरण दिखी है भारत मे पिछले १५ दिनों में ६ मैच खेले फआइनल को मिलाकर जिसमे भारत का प्रदर्शन उन्दा रहा।
भारतीय फुटबाल टीम के कोच बाब हाटन भी फआइनल की जीत से बहुत प्रसन्न नजर आये उन्होंने कप्तान भूटिया और स्टार स्ट्राइकर सुनील छेत्री की सराहना की।वाई चुंग भूटिया ने प्रतियोगिता मे सबसे ज्यादा १३ गोल दागे। एन पी प्रदीप के ही गोल की वजह से भारत को यह कप हासिल हो सका है। कुल मिलाकर अच्छे खेल की वजह से आज भारत के पास यह सफलता है
भारत में वैसे क्रिकेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल है परन्तु यहां खेले गये फाइनल मुकाबले में पत्रकार तथा दर्शकों की सख्या में भारी बढोत्तरी देखी गई।देशके नामी- गिरामी हस्तियों ने हिस्सा लिया। भारतीय खेल मंत्रालय को फुटबाल को आगे बढाने के लिए व्यापक स्तर पर उपाय करने की जरूरत है जिससे भारतीय फुटबाल टीम अन्तरराष्टीय प्रतियोगिता मे बेहतर प्रदर्शन कर सके तथा फुटबाल मे भी भारत का नाम रोशन हो सके

Wednesday, August 29, 2007

एग्नेस से ' मदर टरेसा तक


कक्षा में पढाते-पढाते उनकी नजर खिड़की पे ठहर जाती, स्कूल के पीछे एक झोपडपट्टी थी जो कक्षा की खिडकी से साफ दिखाई पड़ती थी। उस झोपड़पट्टी में फटेहाल , दुःखी, अनाथ तथा बहुत ही गरीब लोग रहते थे। वह रोज खिड़की से उनकी हालत देखती थीं। उनका मन पीडा से भर जाता था, उन लोगों की दयनीय दशा देखकर उनके हृदय में सेवामयी माँ का भाव उत्तपन हुआ। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी और सबकी लाडली नन्हीं एग्नेस के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं थआ कि एक दिन वह 'मदर टेरेसा' के रूप में सम्पूर्ण विश्व की सेवा करगी। विश्व की इस महान विभूति का जन्म अल्बानिया में हुआ था। आयरलैण्ड होते हुए टेरेसा भारत आई। यहां उनकी कर्मभूमि कामुख्य केनद्र कोलकाता था। उन्हें एक बार एक ऐसी मरणासन्न महिला मिली जिदके शरीर को चीटियों और चूहों ने कुतर रखा था। उसे वे एक अस्पताल में ले गई, पर अस्पताल मे महिला को भर्ती करना अस्वीकार कर दिया। आखिर में उनके सत्याग्रह के आगे डाक्टरों ने उस महिला को भर्ती कर लियता । इस घटना मे उनको बहुत उद्वेलित किया और ऐसे मरीजों के लिए उन्होंने ' निर्मल हृदय आश्रम' की स्थापना की।
मदर टेरेसा को जहां कहीं भी कोई असहाय , लावारिस, और बीमार व्यक्ति दिखता या ऐसे व्यक्ति के विषय में सूचना मिलती वे उसे वहां ले आती और स्नेह, सहानुभूति के साथ उसकी सेवा और उपवार करतीं। मदर टेरेसा ने कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास तथा उपचार के लिए विशेष बस्तियाँ बसाई। एक बार एक अमेरिकी सीनेटर ने ऐसी बस्तियों का दौरा किया एक शिविर में उन्होंने देखा कि वह एक बीमार व्यक्ति की सेवा में लगी हुई हैं । रोगी उल्टी, दस्त व खून से लतपथ था। यह दृश्य देखकर वह मदर के सामने श्रद्दापूर्वक झुककर बोले, "क्या मैं आपसे हाथ मिला सकता हूँ।" मदर अपने हाथों को देखकर बोली ," अभी मेरे हाथ साफ नही हैं।" सीनेटर मे भव विहृल होकर उनके हाथ को अपने सिर पर रख लिया और कहा," इन पवित्र हाथओं को गन्दा कहक इनका अपमान मत कीजिए।" ५ सितम्बर १९९७ को मदर टेरेसा ने कहा , " मैं अब और सांस नहीं ले सकती।" इसके बाद उनहें बेचैनी महसूस हुई, डाक्टर को बुलाया गया ,पर वह हमेशा के लिए इस संसार को छोड़ गई।
प्रेषक - अर्चना यादव

Tuesday, August 28, 2007

विश्व हिन्दी सम्मेलन


अमेरिका के न्यूयार्क में तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन समाप्त हुआ विश्व हिन्दी सम्मेलन में विश्व के कई देशों से विद्वानों ने हिस्सा लिया तथा ३६ विद्वानों को हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित किया गया।
हिन्दी को ४९ करोड ६३ लाख लोग बोलते है तथा चीनी को लगभग एक अरब ३ करोड लोग प्रयोग करते है तथा अग्रेजी भाषा को ५०-६० करोड लगभग प्रयोग करते है इस तरह से हिन्दी विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने शैली भाषा मे एक है
विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को शामिल होना ?था परन्तु व्यस्त कार्यक्रम होने की वजह से अपने प्रतिनिधि के रूप में डा कर्ण सिंह जी को भेजा था । हिन्दी के उत्थान के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया पहला हिन्दी सम्मेलन मुम्बई में हुआ था इस प्रकार सम्मेलन अपने उद्देश्यों में कामयाब रहा क्योंकि सभी विद्वतजन ने अपनी विचार धारा को विश्व मंच के पटल पर रखकर अवगत कराया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अध्यक्ष बन की मून ने सम्मेलन को सम्बोधित किया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाके रूप में रखने का प्रस्ताव पारित हुआ , इस हिन्दी सम्मेलन से हिन्दी काभला सम्भव नहीं है मात्र एक तरह की पैसे की बरबादी के अलावा कुछ नहीं । सम्मेलन से अगर हिन्दी में सुधार होता तो बात ही क्या थी।