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Monday, July 30, 2007

सूचना का अधिकार

सूचना का अधिकार

लोकतान्त्रिक और सरकारी प्रक्रिया के अन्तर्गत सार्वजनिक भागीदारी तभी पूरी तरह अर्थपूर्ण है, जब नागरिकों तक सरकारी सूचना तक पयार्प्त पहुँच हो। इस पहुँच के माध्यम से सुशासन , पारदर्शिता , उत्तरदायित्तव एंवम् भागीदारी की आधारशिला तैयार होती है ।
भारतीय संविधान की अनुच्छेद १९ तथा सार्वर्भौमिक मानवाधिकार घोषणा की धारा उन विषयों और मुद्दौं के बार मे आवश्यक जानकारी के अभाव मे निरर्थक एंव असमर्थ है जिसके आधार पर राय कायम एंव व्यक्त की जातीहै अर्थात सूचना का अधिकार मिलने से अभिव्यक्ति की स्वतन्त्र अपनी परिपक्वता की स्थिती में आकर जनता को मौलिक अधिकार नायाब उपहार प्रस्तुत करता है।
१२ मई २००५ को राज्य सभा द्वारा एक स्वरिता में पारित यह विधेयक भारत को उन ५५ राष्टों की लाइन में ला खडा किया है जहाँ के नागरिकों को सूचना प्राप्ति का मौलिक अधिकार प्राप्त है। हालाकि भारतीय परिपेछ्य मे केन्द्र सरकार के पहल के पूर्व ही ९ राज्यों में वर्तमान यथा- दिल्ली, गोवा,असम आदि।
सूचना अधिकार कानून , सूचना की स्वतन्त्रता अधिनियम- २००२ को विभिन्न प्रावधानों मे मध्य मे ज्यादा मजबूत एंव प्रभावी आयाम वाला बनाना है। इसके कुछ प्रावधान इस बात के प्रमाण है यथा-
१: सभी नागरिकों को समान रूप से सार्वजनिक प्राधिकरणों से सूचना प्राप्ति का अधिकार है, जो प्रदान करना ऐसे प्राधिकरणों के लिए अनिवार्य भी है।
२; सूचना आयोग एक स्वतन्त्र एंव उच्च स्तरीय निकाय के दीवानी अधिकारों से लिप्त होगा।
३;जीवन एंव स्वतन्त्रता के मामले में ४८ घन्टे के अन्दर सूचना देना होगा।
४ ३० दिनों के भीतर दूचना सम्प्रेषण।गलत,एंव , तोड- मरोड कर सूचना सम्प्रेषण दण्नीय अपराध आदि।

यह बात गौररतलब है कि सूचना अधिकार अधिनियम कितना प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि केन्द्र एंव राज्य सरकारें इसे मनसा-वाचा-कर्मणा लागू करने हेतु कितना तैयार है। आधुनिक लोक तन्त्र मे उत्तरदायित्व कीएक विस्तरत और अधिक प्रत्यछ अवधारणा को अपनाया गया है जो निष्कर्षतः तौर पर निश्चय ही सरकारी छेत्र में विभिन्न स्तरों पर ब्भ्रष्टाचार एंव अछमता से लडेगा एंच लोकतन्त्र की भविष्य विकास में अपना-अमूल्य एंव लोकादर्पित प्रतिबम्ब के साथ-२ जनता को और शक्तिशाली बनाएगा।
प्रेषक
निशान्त

1 comment:

हरिराम said...

इसके तहत 12.50 रुपये का ड्राफ्ट + ड्राफ्ट बनाने हेतु रु.35 तथा डाक खर्च रु.50.00 लगभग कुल 100 रुपये खर्च करके जो जहमत उठाते हैं,उन्हें उत्तर के नाम पर "गोलमोल" सरकारी भाषा में जो सूचनाएँ मिलती हैं, वह किसी के पल्ले तक नहीं पड़ती।