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Tuesday, July 31, 2007

बर्बरता की हदें

बर्बरता की हदें


पंजाब कि जालंधर शहर में तैनात केन्द्रीय रिजर्व सुरछा बल (सीआर पीएफ) के जवानों ने बीते दिनों वहाँ की सडकों पर जिस तरह से हिंसा का नग्न तांडव किया उससे उनकी विस्वसनीयता संदिग्ध हो गइहै । जो कीसुरछा बल लोगों में सुरछा की भावना विकसित न कर सके उसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग जाता है। हालाकि इस मामले मेंपुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और सीआरपीएफ के तीन कर्मचारी सस्पेंड भी कर दिए गए हैंकिंतु इस पूरे मामले में पुलिस की जैसी भीमिका रही है इसे देखते हुए ऐसा नही लगता है जकि यह मामला किसी अंजाम तक पहुच पाएगा और दोषिओं को उनके किये की सजा मिल पाएगी? वहां सीआरपीएफ के जावानों की करतूतों को उजाग र करने गये पत्रकारों को दौडा -२ कर पीटा ,उन्हें गाडी में लाद कर पुलिस थाना ले गये और लाकअप मे डाल दिया । बात मात्र पत्रकारों की नही है, सीआरपीएफ जवानों ने आम नगरिकों को भी नही बख्शा और एक निरीह युवक की आंख तक निकाल ली, और इस सब कर के दौरान पुलिस जिस प्रकार से मूक बनी रही उससे लगता है कि पुलिस की मंशा भी उन्हें उचित दण्ड दिलाने की नही है। ऐसा नहीं है कि पुलिस मे शामिल सभी अधिकारी और जवान सीआरपीएउ के उदंड जवानों को प्रस्रय दे रहें हैं क्योंकि बाद मे जालंधर रेंज के आईजी संजीव कालडा ने जिस प्रकार सक्रियता दिखाई हैकिंतु मौके पर मौजूद एक अधिकारी का रवेया निश्चित रूप से पुलिस फोर्स के कामकाज को संदेह के घेरे में खडा करता है। हालाकी पुलिस की यह सक्रियता भी तब दिखाई दी जब कई मंत्रियों ने सीधे मुख्यमंत्री से मामले मे हस्तछेप करने को कहा। मुख्यमंत्री ने तो इस पूरे प्रकरण मे उक्त वरिष्ठ पुलिस अफसर की भूमिका की जांच के आदेश भी दे दिये हैं।

प्रेषक
निशा न्त

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