tag:blogger.com,1999:blog-40587419929950126372024-03-13T03:18:00.288-07:00मीडिया व्यूहजिज्ञासु पत्रकारों की मीडिया की खबरों पर पैनी नज़रAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comBlogger553125tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-9421482454773312932014-07-24T08:43:00.001-07:002014-07-24T08:43:20.027-07:00पाकिस्तानियों_के_10_सिर_लाओ!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कितने जवानों का बलिदान करना है मोदी को! ये राष्ट्रीयहित तो नहीं है मित्रों? अब बातचीत कर राष्ट्र विरोधी फैसला कर रहे हैं।जबसे मोदी- नवाज की मुलाकात हुई है 19 बार पाकिस्तान ने फायरिंग की, हमने 3 जवान खो दिए।<br />
वैदिक की ओछी हरकत के बाद पाकिस्तान से बातचीत के लिए क्यों उतावली है मोदी सरकार? क्या भरोसे के लायक है पाकिस्तान? लाइन आफ कंट्रोल पर बार- बार सीज फायर का उल्लंघन। जवानों की कुर्बानी का मजाक बना रही मोदी सरकार!<br />
ये वही मोदी हैं जो ईट का जवाब पत्थर से देने की बात करते थे। क्या हो गया मोदी को? जब पाकिस्तान ने शहीद हेमराज का सिर काटा गया था तो सुषमा स्वराज ने कहा था- "हम 10 सिर काटेंगे।"<br />
क्या हुआ बकरी क्यों बन गई मोदी सरकार? अब कैसा जनमत चाहिए सरकारी को। निकम्मेपन से आगे बढ रही है सरकार।</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-79968658221057273082014-06-28T04:28:00.001-07:002014-06-28T04:28:56.361-07:00डर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सोचा कभी सच्चाई का सामना करूंगा। लेकिन कब और कैसे? सही समय की तलाश में शहर दर शहर भटकता रहा।दोस्तों की महफिलें गुमसुम सी होने लगी थी।कई सालों बाद एक शाम ट्रिन- ट्रिट्रिन कर फोन घनघना उठा।औपचारिक बातचीत हुई।साहस के आगे डर की जीत हुई।मन ही मन व्याकुल हो उठा था। फिर एक लंबी सांस और अपने रास्ते पर चलते रहे।<br />
अरसा गुजर गया है सच आज भी दफ्न है। और दुनिया के सामने एक सभ्यता की मूर्ति बना दिन महीने की तरह गुजरता रहा हूँ।</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-4096635945460313302014-06-15T20:11:00.000-07:002014-06-15T20:11:20.108-07:00कविता "दोस्तों ये यूं तो नहीं"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बादलों की गडगडाहटा,<br />
पक्षियों की चहचहाहट।<br />
हवा की सरसराहट,<br />
और<br />
मेंढक की टरटराहट।<br />
दोस्तों ये यूं ही नहीं<br />
बल्कि मानसून का स्वागत है।।<br />
<br />
पत्तों की खरखराहट,<br />
भास्कर की शर्माहट।<br />
प्रियतमा की अकुलाहट,<br />
और<br />
मोर की थिरकावट।<br />
दोस्तों ये यूं ही नहीं है<br />
बल्कि मानसून का स्वागत है।।<br />
<br />
सांसों की हडबडाहट,<br />
चेहरे की वो बनावट।<br />
मिलने की चुलबुलाहट,<br />
और<br />
इश्किया घबराहट।।<br />
दोस्तों ये यूं ही नहीं है<br />
बल्कि मानसून का स्वागत है।<br />
<br />
<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-80457603350739929752014-05-31T09:13:00.000-07:002014-05-31T09:14:58.668-07:00रावणों के झुंड में-(कविता)नीशू तिवारी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
चिथड़े-चिथड़े नोच कर,<br />
रक्तरंजित रूह उसकी।<br />
मांस के लोथड़े में कहीं,<br />
मानवता आज सड़ गई।।<br />
<br />
दर्द भी तिलमिला उठा,<br />
मौनव्रत थी धारणा उसकी।<br />
मूक दर्शक रावणों के झुंड में,<br />
माँ भी नग्न हो गई।।<br />
<br />
(बदायूं )<br />
<br /></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-51550454934041451912014-05-29T13:14:00.002-07:002014-05-29T13:14:57.170-07:00हस्ताक्षर मौन है(कविता)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
हस्ताक्षर मौन हैं, पहचान बनकर।<br />
हूं उपस्थित आज, अनजान बनकर।।<br />
<br />
सब्र को अपने चुनौती कौन देता है भला?<br />
कर सकूं अपराध तो हो बोध इसका।।<br />
<br />
मेरे मिटने से भला क्या हो सकेगा इस धरा का ?<br />
रात है कहती है हर रोज सुबह उस सूर्य से।।<br />
<br />
है नियति का खेल यह, किसको पता।<br />
कौन डूबे और किसका होगा उदय।।<br />
<br />
<br />
हस्ताक्षर मौन है, पहचान बनकर।।</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-79273427101139996432014-05-23T22:12:00.000-07:002014-05-23T22:12:47.290-07:00पाती<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
दूर देश आई पाती</h2>
<div>
हाल खबर पहुंचाने को</div>
<div>
दादी का वो खेल खेलावन</div>
<div>
मां की ममता पाने को।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
बाबा मुझसे रूठ गए </div>
<div>
भैया के संग जाने को</div>
<div>
कहते थे मां से बाबा मेरे</div>
<div>
साहब, मेरा छोटा सो।।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
अब सब बीत गया</div>
<div>
सारा जग हमें पाने में, </div>
<div>
न बाबा हैं, न दादी मेरी</div>
<div>
है पाती मेरे खजाने में।।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
दूर देश से आई पाती, ,,,,</div>
<div>
हाल खबर,,,।।।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
"उक्त पंक्तियां मेरी</div>
<div>
@ गुड्डो दादी को समर्पित।"</div>
<div>
<br /></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-31111171512895587262011-04-27T09:16:00.001-07:002011-04-27T09:17:12.132-07:00क्या आप अविवाहित हैं ..........या फिर कुवारें<a href="http://4.bp.blogspot.com/-aR56tuOD0J8/TbhBeWTUeBI/AAAAAAAAA30/ak1limw8OKQ/s1600/nishant.jpg" onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 200px; height: 163px;" src="http://4.bp.blogspot.com/-aR56tuOD0J8/TbhBeWTUeBI/AAAAAAAAA30/ak1limw8OKQ/s200/nishant.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5600298126273706002" /></a><br /><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 15px; line-height: 21px; ">क्या आप अविवाहित हैं ..........या फिर कुवारें .......??????? (युवक-युवतियों से एक सच्चा सवाल )<div>वैसे इस पर मत अलग-अलग हो सकते हैं...........भारतीय संभ्यता और संस्कृति में आज के दौर में क्या उम्मीद की जा सकती है ?</div></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-77764972839883759862011-03-28T22:38:00.000-07:002011-03-28T22:41:50.912-07:00पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं..........भारत विश्वकप जीतेगा<a href="http://1.bp.blogspot.com/-xT6XxmRVhOk/TZFxC8aellI/AAAAAAAAA3g/5tPknIfHYVw/s1600/icc-cricket-world-cup-2011-trophy.jpg" onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 150px; height: 200px;" src="http://1.bp.blogspot.com/-xT6XxmRVhOk/TZFxC8aellI/AAAAAAAAA3g/5tPknIfHYVw/s200/icc-cricket-world-cup-2011-trophy.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5589372907934357074" /></a><br /><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 15px; line-height: 21px; ">बाला साहेब ठाकरे की तात्कालिक प्रतिक्रिया प्रधानमन्त्री पर व्यंग कर रही है कि अगर पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री यूसुफ रजा गिलानी को भारत और पाकिस्तान के मध्य मोहाली मे ३० को खेले जाने वाले सेमीफायनल के लिए आमन्त्रित कर सकते है तो २६/११ मुम्बई बम बिस्फोट के अभियुक्त कसब और जनवरी २००३ संसद पर हुए आतंकी हमले के दोसी अफजल गुरु को भी बुलाना गलत नही होगा ................ठाकरे शायद यह भूल रहे हैं कि किसी भी समस्या का हाल बातचीत से ही हो सकता है ...वर्ना मुम्बई मे केवल मराठी ही रह्ते .......जंग के दम पर राज्य और भूमी जीती जा सकती है दिल नही ....इसलिए तोडफोड से आगे सोचिए ठाकरे साहब ........<div>यूं टर्न. .......</div><div>भारत विश्वकप जीतेगा ...........रिकी पोंटिंग (कप्तान आस्ट्रेलिया)..... हाँ वो इसलिए क्युंकी</div><div>पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं............ .........</div></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-29707228449919047092011-02-09T22:35:00.000-08:002011-02-09T22:36:00.718-08:00सफर के साथ मैं<span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse; color: rgb(51, 51, 51); font-family: 'trebuchet ms', verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px; -webkit-border-horizontal-spacing: 2px; -webkit-border-vertical-spacing: 2px; "><br /><br />सफर के साथ मैं<br />या फिर मेरे साथ सफर<br />कुछ ऐसा रिश्ता बन गया था<br />कब, कहाँ, और कैसे पहुँच जाना है<br />बताना मुश्किल था<br />ऐसे ही रास्तों पर कई जाने पहचाने चहरे मिलते<br />और<br />फिर वो यादें धुंधली चादर में कहीं खो जाती<br />मैं कभी जब सोचता हूँ इन लम्हों को तो<br />यादें खुद ब खुद आखों में उतर आती हैं<br />वो बस का छोटा सा सफर<br />अनजाने हम दोनों<br />चुपचाप अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा रहे थे<br />वो मेरे सामने वाली सीट पर शांत बैठी थी<br />उसके चेहरा न जाने क्यूँ जाना पहचाना सा लगा<br />ऐसे में<br />हवा के एक झोंके ने<br />कुछ बाल उसके चेहरे पर बिखेरे थे<br />वो बार-बार<br />अपने हाथों से बालों को प्यार से हटाती थी<br />लेकिन कुछ पल बीतने के बाद<br />वो लटें उसके गालों को फिर से छेड़ जाया करती थी<br />और<br />उसके चेहरे पर हल्की सी परेशानी छोड़ जाया करती थी<br />वो कुछ शर्माती, लजाती हुई असहज महसूस करती थी<br />फिर<br />चुपके चुपके कनखियों से मेरी ओर देखती थी<br />मैं तो एक टक उसको निहारता ही रहा था<br />कुछ कहने और सुनने का समय,<br />हम दोनों के पास न था<br />बिन कहे और बिन सुने<br />जैसे सब बातें हो गयी थी<br />क्यूंकि<br />हमें पता था की ये मुलाकात<br />बस कुछ पल की है<br />और<br />फिर इस दुनिया की भीड़ में गुमनाम होकर<br />कहीं खो जाना है<br />लेकिन ऐसे ही अनजानी शक्लें<br />अजनबी मुलाकातें होती रहेगी<br />कभी तन्हाई में साथ दे जाया करेगी<br /></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-44882207343477435022010-09-21T10:12:00.000-07:002010-09-21T10:29:39.124-07:00मेरी माँ ....मेरा बचपन<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TJjrUZDM_EI/AAAAAAAAA2c/Yzn4afDUWzo/s1600/Smith_Love_Has_Wings_500.jpg"><img style="margin: 0px auto 10px; display: block; text-align: center; cursor: pointer; width: 200px; height: 151px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TJjrUZDM_EI/AAAAAAAAA2c/Yzn4afDUWzo/s200/Smith_Love_Has_Wings_500.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5519420078896774210" border="0" /></a><br /> चूल्हे की आग से निकलते धुएँ से<br /><div style="text-align: center;">माँ की आँखों से आँसू बहता हुआ<br />गाल से गले तक फिसलता चला जाता है<br />मैं बार बार<br />चिल्लाता हूँ<br />माँ खाना कहाँ हैं ...<br />माँ आँचल से मुंह पोंछते हुए<br />दुलार से कहती है<br />ला रही हूँ बेटा<br />खाने में कुछ पल देर होते ही<br />मैं रूठ जाता हूँ<br />माँ चुचकार कर<br />दुलारकर अपने हाथों से<br />रोटी खिलाती है<br />फिर भी मैं मुंह दूसरी तरफ़<br />किए हुए रोटी खा लेता हूँ ,<br />माँ प्यार से देर यूँ ही<br />खाना खिलाती है और मुझे मानती है<br />मैं माँ को देखकर खुश होता हूँ<br />और भाग जाता हूँ<br />घर में छिपने के लिए ....<br />माँ कुछ देर मुझे इधर उधर<br />खोजती है<br />और बक्से के पीछे से ढूंढ लेती है<br />मैं खुद को हारा महसूस करता हूँ<br />फिर माँ भी छिपती है<br />जिसे ढूंढकर खुश होता हूँ<br />..यूँ ही माँ के साथ बीता बचपन </div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-4192532539454433292010-08-10T05:47:00.000-07:002010-08-10T05:50:44.570-07:00मैं तो बस ....(कविता)........neeshoo tiwari<div>न कोई मजहब है मेरा <br /></div><div>न कोई भगवान है</div><div>मैं तो बस इन्सान हूँ </div><div>इंसानियत मेरी पहचान है..</div><div></div><div></div><div></div><div>न कभी मंदिर गया मैं</div><div>न कभी गुरूद्वारे में </div><div>मैं तो बस देखता हूँ </div><div>सबमें ही भगवान है .</div><div></div><div></div><div></div><div>न किसी से इर्ष्या हो </div><div>न किसी से बैर हो </div><div>मैं तो बस ये चाहता हूँ </div><div>सबमें ख़ुशी और प्रेम हो </div><div></div><div></div><div></div><div>पढता हूँ मैं खबर </div><div>शहर कत्लेआम की </div><div>हो दुखी नम आँखों से</div><div>क्या खुदा , क्या राम है..</div><div></div><div></div><div></div><div>आज मैं मैं कर रहा </div><div>कल खाक में मिल जाऊंगा </div><div>सांसे टूट जाएगी एक दिन</div><div>क्या साथ मेरे जायेगा ...</div><div></div><div></div><div></div><div>आओ हम ये दूरी मिटा दें </div><div>न कोई हो दुर्भावना </div><div>राम पूजे मुसलमान </div><div>हिन्दू खुदा के साथ हो </div><div></div><div></div><div></div><div>मैं किसी को न कहूँगा </div><div>तुम कभी न छोडो धरम </div><div>राम , रहमत के नाम पर </div><div>तुम मिटा दो फासला ..</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-43981667599890739442010-08-08T11:19:00.000-07:002010-08-08T11:23:30.553-07:00मैं तो हिन्दू हूँ .....तुम क्या हो ?<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TF72GxvI4wI/AAAAAAAAA10/wjSHh_0T6eE/s1600/religion_all.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 212px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TF72GxvI4wI/AAAAAAAAA10/wjSHh_0T6eE/s320/religion_all.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5503106390984024834" /></a><br /><div><strong>मैं तो हिन्दू हूँ .....तुम क्या हो ? </strong>पूछना अच्छा लगता है क्या ? <strong><span style="color:#ff0000;">जवाब है पर देना नहीं चाहता ...सोचिये आपने कभी इस तरह के सवाल का जवाब दिया है या फिर किसी से पुछा क्या ?</span></strong> कैसा लगा ? वैसे खबर है की </div><div>ह<em><span style="color:#ff6600;">ॉलीवुड की सुपरस्टार जूलिया रॉबर्ट्स ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया ह</span></em>ै अगर हम डेली टेलिग्राफ की रिपोर्ट को माने तो ....वैसे जूलिया पिछले साल सितंबर में भारत में विवादों में आ गईं थीं. नई दिल्ली के एक मंदिर में उनकी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान स्थानीय लोगों को नवरात्रि के मौके पर मंदिर जाने से रोक दिया गया था......लेकिन अब कौन रोकेगा .....<br /></div><div></div><div><strong>हिंदी गीत की कुछ पंक्तियाँ </strong></div><div><em><span style="color:#00cccc;">न हिन्दू बनेगा </span></em></div><div><em><span style="color:#00cccc;">न मुसलमान बनेगा</span></em></div><div><em><span style="color:#00cccc;">इंसान की औलाद है</span></em></div><div><em><span style="color:#00cccc;">इंसान बनेगा </span></em></div><div><strong> वर्तमान में ये पंक्तियाँ </strong></div><div><span style="color:#660000;">हाँ हिन्दू ही बनेगा </span></div><div><span style="color:#660000;">हाँ मुसलमान ही बनेगा </span></div><div><span style="color:#660000;">इंसान की औलाद </span></div><div><span style="color:#660000;">हाँ कत्ले आम करेगा ....</span></div><div><span style="color:#660000;">तो क्या बनोगे आप ....</span><span style="color:#330033;">हिन्दू या मुसलमान .........दोनों में जो फायदा देता हो सोच लो ...</span></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-1336246308010422982010-08-03T10:42:00.000-07:002010-08-03T10:52:40.270-07:00छिनाल शब्द और ब्लॉग जगत की महिलाएं..... क्या कहती हैं .....? क्या सही क्या गलत ....? आपकी सोच (पुरुषवादी )...बहस होना चाहिए ?<div>"<strong>छिनाल"</strong> शब्द का निकलना ही राय साहब को हिंदी साहित्य से जुडी महिलाओं और लेखिकाओं की नजरों में विलेन बना दिया ...लेकिन आज जयादातर लोग जो भी विभूति नारायण जी को गाली और गोली मारना या देना चाह रहें होगें उनको चाहे पूरे मामले के बारे में पूरी जानकारी ही न हो ...खुद को प्रगतिशील समझने वाले बिना बोले रहेगें कैसे ? वरना प्रगतिशीलता पर प्रशन खडा हो जायेगा ? </div><div><strong><span style="color:#ff0000;">सभी को अपनी बात कहने का आधिकार है......वो कोई भी हो सकता है ...</span></strong><span style="color:#000000;"><strong>बिस्तर की बातों को पन्नों पर सजाना ही साहित्य और प्रगतिशीलता की निशानी होता जा रहा ह</strong>ै </span><strong><span style="color:#ff0000;">और इसी का विरोध राय साहब ने किया ....अब इसको किस तरह से पेश किया जाता यह देखने वाली बात होगी ...</span></strong></div><div><em><span style="color:#3366ff;">वी यन राय का साछात्कार <strong><a href="http://1.bp.blogspot.com/_R8WNJnCxy-0/TFfs0q-lnxI/AAAAAAAABIY/B7m1fdOWNvU/s1600/gyanodaya_vnr.jpg">नया ज्ञानोदय </a></strong>में आया</span></em> ... जिस पर <strong>केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल</strong> का बयान आ गया . उन्होंने कहा है कि अगर टिप्पणी की गई है तो यह संपूर्ण नारी समाज का अपमान है. महिलाओं के खिलाफ ऐसी टिप्पणी उनके सम्मान को आहत करने वाली और मर्यादा के प्रतिकूल है. इस संबंध में आई खबरों का पता लगा रहा हूं. अगर यह सही हुआ तो कार्रवाई होगी....<strong>अब क्या करवाई होगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा ...?</strong></div><div>हिंदी साहित्य जगत में सबसे जायद परेशान हुआ तो वो हैं <strong><em>मैत्रयी पुष्पा ज</em></strong><strong><em>ी</em></strong> जिनका कहना है की 'छिनाल', 'वेश्या' जैसे शब्द मर्दों के बनाये हुए हैं, हम इनकों ठेंगे पर रखते हैं....</div><div><strong><span style="color:#ff0000;">फिलहाल ब्लॉगजगत की प्रगतिशील महिलाएं ...इस प्रकरण पर कई ब्लॉग पर अपनी बात लिखी है,,देखते हैं वो क्या सोचती हैं और समझती हैं ?....</span></strong></div><div></div><div><strong><a href="http://chitthacharcha.blogspot.com/2010/08/blog-post_1564.html">छिनाल माने ?? चिट्ठा चर्चा ब्लॉग पर </a></strong></div><div><em><strong>mukti said: </strong></em><br /><br />सही है ये पुरुषों की उस मानसिकता का साक्षात उदाहरण है, जिसमें औरतों को एक शरीर से अधिक कुछ नहीं समझा जाता है. अधिकतर पुरुषों के लिए ये बेहद आम बात है कि तेजी से आगे बढती औरत को नीचा दिखाना हो तो या तो उसकी सुंदरता में कमी निकाल दो, या उसके बारे में ऐसी अश्लील बातें फैला दो कि लोग उसे बस सर्वसुलभ समझ लें. और इन सब से भी कुछ न बने तो उसके व्यक्तिगत जीवन को सरेराह खींच लाओ... और सबको बता दो कि ये औरत या फिर बहुतों के साथ सम्बन्ध बना चुकी है या इस काबिल ही नहीं कि कोई इसके साथ सम्बन्ध बनाए.<br />ये सोचने की बात है कि यह सब औरतों के लिए ही क्यों? रचनाजी ने सही कहा कि यह सब ब्लॉगजगत में भी हो सकता है. क्योंकि यहाँ भी तो वही मानसिकता है. <br />ये हमारे समाज का दोगलापन नहीं तो और क्या है? जहाँ गिल जैसे लोगों पर एक महिला आई.ए.एस.अधिकारी द्वारा छेडछाड का आरोप लगाने के बाद भी उसका कुछ नहीं बिगड़ता, चौदह साल की बच्ची के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाला पुलिस अधिकारी हँसते-हँसते कोर्ट से बाहर निकलता है. वहीं यदि एक महिला अपने जीवन के कुछ अनुभव साहित्य में लिख रही है, तो उसके लिए ऐसा शब्द इस्तेमाल किया जा रहा है.<br />पंकज की बात से सहमत हूँ इस समाज को तहस-नहस किये जाने की ही ज़रूरत है. भले इसके लिए एक पीढ़ी बर्बाद हो जाए, आने वाली पीढियाँ तो इस सड़ान्ध से दूर रहेंगी.<br />August 02, 2010 3:57 PM<br /></div><div></div><div><strong><em>वाणी गीत said: </em></strong><br /><br />आदमी की सोच का दायरा अभी भी जिस्म ही है...दुखद सच्चाई है <br />रचना जी की चिंता भी कुछ हद तक सही है ...यह आंच उड़ते उड़ते ब्लॉग तक भी आएगी ही ...!<br /></div><div><strong><em></em></strong></div><div><strong><em>संगीता स्वरुप ( गीत ) said: </em></strong><br /><br />किसी की सोच का दायरा जितना है उससे आगे कैसे सोच सकता है ....शर्म आती है ऐसी पुरुष मानसिकता पर .....<br /></div><div><strong><em>रचना said: </em></strong><br /><br />अब आप ने पूछा हैं क्या सोचते हैं हम श्री विभूति नारायण के "छिनालपने" पर { कल बहस के दौरान उन्होने यही कहा हैं कि छिनाल परवर्ती हैं जो पुरुषो मे ख़ास कर पूरब के पाई जाती हैं ।<br /><br />जल्दी ही ब्लॉग लिखती महिला पर वक्तव्य आ जायेगा क्युकी अगली ब्लॉग प्रयोग शाला इनके सौजन्य से ही करवायी जायेगी । ब्लॉग लिखती कोई ना कोई महिला तो उस दयास पर खड़ी होगी ही जहाँ ये प्रयोग शाला होगी अब वो वहाँ तक कैसे पहुची ये शायद वो नहीं बता पायेगी हां कोई ना कोई आयोजक जरुर बता सकेगा ।<br /></div><div><strong><em></em></strong></div><div><strong><em>अल्पना वर्मा said: </em></strong><br /><br />वी एन राय उस दोगले और कुंठित समाज के प्रतिनिधि हैं जिनके सोचने का दायरा संकुचित ही रहेगा,जिस्म से आगे ये अपने किसी विचार को बढ़ने ही नहीं देते .एक महिला अगर समाज का घिनौना सच सामने लाती है तो उसे छिनाल कहा जाता है.जो उसे ऐसा करने पर बाध्य करते हैं /जबरदस्ती करते हैं ,उन पुरुषों को क्या नाम देंगे?<br />थोडा भी बोल्ड लिखने वाली महिला या खुद पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिला पर इसी समाज की उँगलियाँ भी बहुत जल्दी उठने लगती हैं.<br />इनकी सोच में बदलाव न जाने कब आएगा.<br /></div><div></div><div><a href="http://mishraarvind.blogspot.com/2010/08/blog-post_02.html">मिश्रा जी की पोस्ट पर </a><br /></div><div></div><div><strong><em>संगीता स्वरुप ( गीत ) said... </em></strong><br /><br />बहुत संयमित हो कर आपने इस विषय पर लिखा है....</div><div>अब छिनाल शब्द का अर्थ अपनी दृष्टि से कुछ भी लगाएं पर शब्दकोष में तो इसका अर्थ वैश्या या व्यभिचारिणी ही है...और ऐसे शब्दों के प्रयोग पर आपत्ति उठना स्वाभाविक है .. <br />3 August 2010 11:41</div><div><strong><em></em></strong></div><div><strong><em>वाणी गीत said... </em></strong><br /><br />कई बार पढ़ा आपके इस लेख को ...<br /><br />औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं...देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"...<br /><br />पुरुषों की गलती को मानते हुए स्त्रियों से इसे नहीं अपनाने की अपील ही लगी इसमें ...<br /><br />लेकिन छिनाल शब्द का अर्थ जो भी हो , किसी भी स्त्री के लिए इसका प्रयोग तो अनुचित ही माना जाएगा ...<br />आपने पूरे वाकये को संतुलित और निरपेक्ष होकर समझाने की कोशिश की है मगर ...<br />लेख के शीर्षक पर मुझे आपत्ति है...शीर्षक के लिए सभ्य भाषा का प्रयोग किया जाता तो इसकी उपयोगिता बढती ...! <br />3 August 2010 13:14<br /></div><div><em><strong></strong></em></div><div><em><strong>Akanksha~आकांक्षा said... <br /><br /></strong></em>छिनाल शब्द का प्रयोग...कहीं से उचित नहीं. दुर्भाग्य से जब तथाकथित साहित्यकारों की दुकान उठने लगती है तो वे ऐसे ही शब्दों का प्रयोग कर चर्चा में आना चाहते हैं... <br />3 August 2010 14:07<br /></div><div><strong><em>रंजना said... </em></strong><br /><br />किसी व्यक्ति/हस्ती ने ऐसा कुछ कहा ,जो कि कहीं से भी कुछ सकारात्मक प्रभाव छोड़ने लायक न हो...तो मेरे समझ से उस प्रसंग को ही छोड़ देना चाहिए...मटिया देना चाहिए...नहीं तो नीचे उतरने की कोई हद नहीं है....<br />ऐसी बातों को टूल दे हम बस वहीँ करेंगे जो आज के न्यूज चैनल कर रहे हैं...अश्लीलता का बाजार ज्यादा बड़ा और व्यापक हुआ करता है सदा ही...अच्छा कुछ करने में बड़ी मेहनत जो लगती है,सो कोई इसमें जुटना नहीं चाहता..... <br />3 August 2010 19:07</div><div></div><div><strong><em>mukti said... </em></strong><br /><br />आपने जहाँ तक हो सकता है, तठस्थ रहकर यह लेख लिखा है....वी.एन. राय को मैंने इलाहाबाद में सुना है और मुझे उनके विचार उस समय अच्छे लगे थे. वे वामपंथी हैं या नहीं, नहीं जानती.जहाँ तक बात इस स्टेटमेंट की है " दरअसल इससे स्त्री मुक्ति के बड़े मुद्दे पीछे चले गए हैं .........औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके त...हत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"<br />मैं सहमत हूँ, पर फिर भी औरतों के लिए ऐसी भाषा के सख्त खिलाफ हूँ, चाहे वह दक्षिणपंथी हो या वामपंथी.इस तरह की भाषा ही औरतों को सिर्फ एक आब्जेक्ट के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसके बारे में कोई भी अपने विचार प्रस्तुत कर सकता है, उसके लिए आदर्श की स्थापना कर सकता है और ये अपेक्षा करता है कि औरतें उसी पर चलें. मैं ये कहती हूँ कि अगर औरतें ऐसी बातें लिख भी रही हैं, तो समय उन्हें देखेगा. आप कौन होते हैं कहने वाले?<br />और ये जो आपने प्रगतिशील और नारीवादी आंदोलन के अंतर्विरोधों की बात कर रहे हैं, ये मुद्दा खुद नारीवाद के समक्ष एक बहुत बड़े विमर्श का मुद्दा रहा है. नारीवादियों ने वामपंथी दलों में ही औरतों को उचित प्रतिनिधित्व ना प्रदान करने के लिए समय-समय पर प्रश्न उठाया है.<br />इन सारी बातों में मुझे दुःख इस बात का होता है कि नारीवाद की सबसे अधिक आलोचना वे करते हैं, जिन्हें उसकी बारहखड़ी तक नहीं आती. <br />3 August 2010 02:19<br /><br /></div><div></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-22039733566302931552010-08-01T10:15:00.000-07:002010-08-01T10:23:46.494-07:00क्या स्त्रीमुक्ति मात्र देह मुक्ति है? ................हिन्दी लेखिकाओं को 'छिनाल' कहने पर विवाद .....आपकी राय क्या है? neeshoo tiwari<div><strong>"शहर में कर्फ्यू "</strong> पुस्तक से हुए <em><span style="color:#cc0000;">विख्यात विभूति नारायण राय</span></em> के द्वारा दो अखबारों में <em><span style="color:#ff0000;">हिन्दी लेखिकाओं को 'छिनाल' </span></em>कहने पर विवाद को नया रंग मिल गया है........<strong>'छिनाल'</strong> शब्द का अर्थ चरित्रहीन होता है.......विभूति राय ने अपनी बात को और आगे बढाया की देह मुक्ति ही स्त्री मुक्ति जो भी मान रही हैं वह भ्रम में जी रहीं हैं .......जिस पर <em><span style="color:#330000;">मैत्रेयी पुष्पा ने विरोध दर्ज कराया है.....उनका कहना है ......महिला लेखन में देह के विमर्श के खुलकर सामने आने को स्त्री मुक्ति की संकीर्ण परिभाषा नहीं मानती हैं. "इसमें क्या संकीर्ण है कि अगर वो (महिलाएं )अपनी ज़िन्दगी अपने मुताबिक जीना चाहती हैं, घर से बाहर निकलना चाहती हैं. आपसे बर्दाश्त नहीं होता तो हम क्या करें, पर आप क्या गाली देंगे?"</span></em><br /></div><div>इसके उलट राय साहब कहते हैं की " महिला विमर्श में बृहत्तर संदर्भ जुड़े हुए हैं तो सिर्फ शरीर की बात करना उन्हें सही नहीं लगता...........बल्कि और भी मुद्दों पर बात होनी चाहिए ....</div><div>इस पर आपकी क्या राय है? <strong>क्या स्त्रीमुक्ति मात्र देह मुक्ति है? </strong></div><div>जहाँ तक महिलाओं की बात है तो <strong><a href="http://blog.chokherbali.in/2009/03/blog-post_17.html">चोखेरबाली ब्लॉग</a></strong> पर <em><strong><span style="color:#3333ff;">सुजाता जी</span></strong></em> का लिखा पोस्ट <a href="http://blog.chokherbali.in/2009/03/blog-post_17.html"><strong><span style="color:#ff0000;">"धर्म से टकराए बिना स्त्री मुक्ति सम्भव नही"</span></strong></a> आज की विचारधारा " स्त्रीमुक्ति" को देखा जा सकता है.....वास्तव में 'महिला मुक्ति " शब्द है क्या ? आधुनिक नारीवादी<span style="color:#ff0000;"><strong> " फेमेनिस्ट " </strong></span>महिलाएं आखिर कैसी मुक्ति का राग अलाप्ती हैं ? <strong>कोई तो धर्म , कोई तो देह और कोई कर्म की बात करता है........आखिर आधुनिक जीवन शैली में किसे मुक्ति माना जाना चाहिए ? ये तो आधिनुकतावादी महिलाएं ही दे सकती हैं </strong>..........पर इस सब पर विचारों की मुक्ति ज्यादा महत्व रखती है.......देह दिखाना न दिखाना ये महिलायों पर है( उनकी मर्जी ) लेकिन कम कपडे या पार्टी और मस्ती( खुलेपन ) को कभी भी महिला मुक्ति नहीं माना जा सकता .......</div><div>आपकी राय क्या है???????? </div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-48386455526054162912010-07-31T05:20:00.000-07:002010-07-31T05:23:30.120-07:00तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे.........(मो. रफी)...........इस महान गायक को श्रद्धांजलि<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TFQVvUAiYtI/AAAAAAAAA1s/LKrWfAe0hNg/s1600/10848333_155_155.jpeg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 155px; height: 155px;" src="http://2.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TFQVvUAiYtI/AAAAAAAAA1s/LKrWfAe0hNg/s320/10848333_155_155.jpeg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5500044947495215826" /></a><br /><span style="color:#ff6600;"><strong>वो जब याद आये बहुत याद आये .....और तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे जैसे स्वर्णिम गीत को अपनी आवाज देने वाले मो. रफी की आज ३०वीं पुण्यतिथि है....रफी जी ने पिछले चार दशक में करीब २८ हजार गानों को अपनी आवाज दी ....गीत 'चाहूँगा मैं तुझे सांझ सबेरे' के लिए रफी साहब को पहला फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड मिला ....जिससे प्यारे लाल की धुनें आज भी हम सब के कानों में रस घोलती है..........रफी जी का जानी वाकर के लिए गाना ""सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए" पूरी तरह से उन्हीं के रंग में रंगा है....और शास्त्रीय संगीत में तो रफी का जवाब ही नहीं ...........शायद ही अब इस जहाँ में कोई दूसरा रफी हो ........इस महान गायक को श्रद्धांजलि..........वाकई रफी साहब को हम नहीं भुला सकते ............</strong></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-14614078759225890612010-07-30T10:43:00.000-07:002010-07-30T10:56:26.043-07:00कबाड़ी बाजार की वेश्याएं ............दुखद सच देख शून्यता को महसूस करता हूँ .........neeshoo tiwari<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TFMSNqgSXSI/AAAAAAAAA1k/jPi205DlbU0/s1600/2338998536_cf5398172f.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 200px; height: 120px;" src="http://2.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TFMSNqgSXSI/AAAAAAAAA1k/jPi205DlbU0/s200/2338998536_cf5398172f.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5499759595906817314" /></a><br /><div> मेरठ रहते हुए कुछ ही महीने बीते हैं .........कभी कभी जब ऑफिस से छुट्टी मिलती हैं ( साप्ताहिक ) तो शहर( मेरा ऑफिस शहर से कुछ दूरी पर है) जाना होता है......शहर में घूमते खरीदते ....एक शाम रेड लाइट एरिया ( कबाड़ी बाजार ) पहुच गया ...........जो कुछ आजतक वेश्यवों के बारे में देखते ( फिल्मों में ) आया था उसको हकीकत में देखना वाकई आसान नहीं था ( खुद तो आत्मग्लानी हो रही थी )........ज्यादा देर तक रुक न सका वहां ........मकान पुराने जमाने के ......भार्जे ऐसे की कभी भी गिर सकते हैं .........और भार्जे से झांकते कुछ चेहरे .....जिस पर कास्मेटिक पुता हुआ ........देखने में आकर्षित करते हुए ........पर ज्यादा देर वहां पर रूकना संभव नहीं .........ह्रदय में हल चल (कुक्ड को हल्का महसूस कर रहा था ) शायद जैसे सब कुछ संत हो गया हो .......</div><div>लेकिन यह हमारे </div><div>समाज का घिनौना सच हैं ...........सेक्स वर्कर ....वैसे तो आधुनिक समय की शैली में सेक्स वर्कर शब्द आया ......वरना भारतीय समाज में " रंडी " जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता था ..........हममे से कई जिस शब्द को बोलने से कतराते हैं ........सोचिये उनकी जिंदगी कैसी होगी ? वैसे तो भारत सरकार ने अब तक सेक्स वर्करों की संख्या लगभग ७ लाख के करीब आंकी है...पर स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार करीब २२.७ लाख सेक्स वर्कर हैं ......दिल्ली के जी बी रोड पर अनुमानित सेक्स वर्करों की संख्या ४०००० के करीब है...भारत में प्रदेश vaar सेक्स वोर्करों की को देखा जाय तो आन्ध्र प्रदेश में १ लाख सेक्स वर्कर हैं ...जबकी दुसरे स्थान पर कर्नाटका हैं जहाँ पर करीब ८०००० सेक्स वर्कर हैं ..... जबकि नाको के अनुसार भारत में करीब १२.६३ लाख सेक्स वर्कर हैं .... ये तो रही आकड़ो की बात .........</div><div>लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी जो की अँधेरे में अपना जीवन गुमनामी में के साथ गुजार रही है क्या उसको संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने चाहिए ? सभी को सेक्स वर्कर से ज्यादा हमदर्दी हो या न हो पर क्या इनके लिए काम नहीं किया जाना कहिये ? समाज की मुख्या धारा में शामिल करने के लिए आगे आकर प्रयास करना होगा ....माननीय उच्च नयायालय ने दो पुरूष या महिला के बिच के सम्नंध को जब सही ठहराया तो क्या सेक्स वर्करों के लिए कानून नहीं बनना चाहिए .........बिलकुल बनना चाहिए ..जिससे सेक्स वर्करों को भी एक सामाजिक स्टार मिल सके .....और हाँ इससे जुड़े बिचुलिये को भी क़ानून के दायरे में लाया जा सके ............साथ ही हम जिस भी चीज को नहीं देखते या छिपाते हैं क्या वो नहीं हो रही होती ? होती है पर बहुत ही भयानक रूप में .................आमतौर पर माना जाता है की सेक्स वर्कर किसी न किसी परेशानी के कारन इस पेशे से आई होती हैं .....तो ऐसे लोगो को पुनर्वास कराया जाना चाहिए ........जिससे समाज के सच में झूटी शान के सफेद पोश चेहरे हो सामने लाया जा सके ............ </div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-36519403949462553082010-07-25T05:04:00.000-07:002010-07-25T05:06:56.667-07:00ठीक है वह...............संस्मरण..........neeshoo tiwariबहुत दिन नहीं हुआ जॉब करते हुए .....पर अच्छा लगता है खुद को व्यस्त रखना........शाम की कालिमा अब सूरज की लालिमा को कम कर रही थी ......मैं चुप चाप तकिये में मुह धसाए बहार उड़ रही धुल में अपनी मन चाही आकृति बना कर ( कल्पनाओं में ) खुश हो रहा था .........कभी प्रिया का हंसता चेहरा नजर आता .........तो दुसरे पल बदलते हवा के झोंकों के साथ आँखें नयी तस्वीर उतार लेती .......... बिलकुल वैसी ही .....जैसे वो मिलने पर( शर्माती थी ) करती थी.............अचानक आज इन यादों ने मेरी साँसों की रफ्तार को तेज़ कर दिया .........करवट बदलते हुए आखिरी मुलाकात के करीब न जाने क्यूँ चला गया ...........<br />मैं पागल हूँ और आलसी भी वो हमेशा कहा करती थी ....जिसे मै हंस कर मान लेता था .....(सच कहूँ तो आलसी हूँ भी )........ .....दिल्ली में दो साल कैसे बीते ....पता ही न चला ..... हम साथ ही पत्रकारिता में दाखिल हुए थे ........और साथ ही पढाई पूरी की ..........पहली बार हम दोनों कालेज के साछात्कार से पहले मिले थे .......वह बहुत घबराई सी लग रही थी .......मैंने ही बात के सिलसिले को आगे बढाया था .........बातो से पता चला की वह भी अल्लाहाबाद से पढ़ कर आई है ...तब से ही अपनापन नजर आया था उसको देखकर ........साछात्कार का परिणाम आने अपर हम दोनों का चयन हुआ था .........ये मेरे लिए सब से बड़ी ख़ुशी की बात थी ...क्यूंकि मैंने जो तैयारी की थी उससे मैंने खुस न था ...........पर मेरा भी चयन हो ही गया था .........कुछ दिनों के बाद क्लास शुरू हो गयी ......नए नए दोस्त बने .....समय अच्छे से गुजरता ........पर जब तक प्रिय से कुछ देर न बात करता .......तो कुछ भी अच्छा न लगता .....सुबह से शाम तक मैं प्रिया के पास और प्रिया मेरे पास ही होती ......यानि आसपास ही क्लास में बैठते ....दोपहर का नाश्ता और शाम की चाय साथ पीने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम के लिए निकलते ......रूम पर पहुच कर फिर फ़ोन से बहुत साडी बातें होती ............इसी बातों से न जाने कब प्यार हो गया पता ही न चला ..........वैसे प्रिया तो शायद ही कभी बोलती .........पर हाँ मैंने ही उसको प्रपोज किया था .......कोई उत्तर नहीं दिया था उसने ..........मैं तो डर गया था की शायद अब वह बात न करे......लेकिन नहीं उसका स्वभाव वैसे ही सीधा साधा रहा ..जैसा की वह रहती थी ..... मेरे लिए ख़ुशी की बात थी .......मैंने खुद से ही हाँ मान लिया था .....क्यूंकि वह चुप जो थी .......कभी लड़ते लाभी झगड़ते .......रूठते मानते .....अब उस दौर में हम दोनों आ गए थे की अब आगे की जिंदगी को चुनना था ........संघर्ष और सफलता के बीच प्यार को लेकर चलना था ..........प्रिया ने आखरी सेमेस्टर का एग्जाम देने के बाद यूँ ही कहा था ..........मिस्टर आलसी .......अब आपको सारा काम खुद से करना होगा ......हो सकता है रोज फ़ोन पर बात भी न हो पाए ......और हाँ मैं घर जा रही हूँ ......शायद पापा अब न आने दें .........वहीँ कोई जॉब देखूंगी ........ मैं चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था .......वो मेरी तरफ नहीं देख रही थी पर बात मुझसे ही कह रही थी .......आज पहली बार दो साल में उसकी आँखों में आन्शूं देखा था ............फिर जल्दी से आंसू पोछते हुए कहा था ....मिस्टर उल्लू .....नहाते भी रहना ...वरना मुझे आना होगा .........मैंने सर हिलाकर सहमती दे दी थी ..........वो कल सुबह जाएगी ........अब कैसे रहूँगा ........कुछ समझ न आया था ......रात भर नींद न आयी ..और प्रिया को भी परेसान न करना चाहता था .........क्यूंकि अगले दिन उसकी ट्रेन थी .........सुबह मिलने की बात हुई थी .......मैं अपना वादा निभाते हुए रेलवे स्तेसन तक छोड़ने गया था ...........ट्रेन जाने तक उसको देखता ही रहा था ............हाँ कुछ महीने बाद उसका फ़ोन आया था ..........ठीक है वह ..........Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-62503357865035701452010-07-24T11:03:00.000-07:002010-07-24T11:10:50.256-07:00लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं .......ये प्रगतिशीलता की निशानी ...कुछ सीखो<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TEssaeSJ1lI/AAAAAAAAA1c/S_Hvj0qjGy8/s1600/Self-harm101.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 133px; height: 200px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TEssaeSJ1lI/AAAAAAAAA1c/S_Hvj0qjGy8/s200/Self-harm101.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5497536603453249106" /></a><br /><div></div><div></div><div>ओछी ब्लॉगिंग की शानदार राजनीति के प्रथम में महूफूज और महिला ब्लोगर सम्बन्ध में आपका स्वागत है..........आपको यहाँ किसी महिला को कैसे पटाया जायेगा का पाठ जायेगा .... </div><div>आने में कुछ देर हो गयी है पर अपनी बात तो कह कर ही जाऊंगा .........कोई कमेन्ट के लिए मैसेज करे और फिर उस कमेन्ट मिले ...लेकिन बात तब ख़राब होती है..जब मनमाफिक और चाटुकारिता भरी राय न हो ........ऐसे ही उसको डिलीट कर दिया जाता है.....कोई एक ऐसे महफूज नहीं बहुत सारे हैं .....जो धीरे धीरे सामने आते जायेगे ..........कोई ब्लोगर भाई हमेश सार्थकता की बात करते हैं ..करना भी जायज है.......पर सच्चे दिल से कहूँ तो कोई भी ऐसा नहीं करता ......कोई माने या न माने ..........और हाँ जो अपने को आधुनिक नारी या कहें प्रगतिशील समझती हैं वह उनका भ्रम मात्र है.........मैं किसी महिला से बदतमीजी करूँ और कोई अन्य महिला ही आकर कहें बहुत खूब ........बहुत अच्छा किया तो ये किस तरह से जायज होगा ........लेकिन होता यही है.......हाँ में हाँ मिलाने वाली महिला ब्लोगर भी कमेन्ट के चक्कर में जो रहती हैं .....वास्तविकता को देखकर दुःख होता हैं.....सभी एक दुसरे की पैंट उतरने में लगे हैं ............लेकिन ये नही पता है की दोनों को नंगा होना पद सकता है........और कोई भी अपनी जरा सी आलोचना सुनने को क्यूँ नहीं तैयार होता है.?....... आप लोगों का लार टपकाना कब बंद होगा .........और लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं लेकिन .........वाह वाह ...के चक्कर में किसी की भावना की ऐसी की तैसी क्यूँ करते हैं या करती हैं ........<br /></div><div>और हाँ हो सकता है की मेरी बात किसी को बुरी लगे पर जो कुछ सोचता हूँ .................लिख देता हूँ ..........</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-42789049994878933512010-07-17T10:35:00.000-07:002010-07-17T10:37:16.388-07:00मेरे सपने ने आज तोडा था मुझको ...neeshoo tiwari<div>सपनों के टूटने की खनक से</div><div>नींद भर सो न सका </div><div>रात के अंधेरे में कोशिश की </div><div>उनको बटोरने की </div><div>कुछ इधर उधर गिरकर बिखर गए थे</div><div>हाँ </div><div>टूट गए थे</div><div>एक अहसास चुभा सीने में</div><div>जिसके दर्द से आँखें भर आई थी </div><div>मैंने तो </div><div>रोका था उस बूंद को </div><div>कसमों की बंदिशों से </div><div>शायद </div><div>अब मोल न था इन कसमों का</div><div>फिर </div><div>उंघते हुए </div><div>आगे हाथ बढ़ाया था</div><div>वादों को पकड़ने के लिए </div><div>लेकिन वो दूर था पहुँच से मेरी </div><div>क्यूंकि </div><div>धोखे से उसके छलावे को </div><div>मैंने सच समझा था </div><div>कुछ </div><div>देर तक </div><div>सुस्ताने की कोशिश की </div><div>तो सामने नजर आया था </div><div>उसके चेहरे का बिखरा टुकड़ा </div><div>हाथ बढ़ाकर पकड़ना चाहा था </div><div>लेकिन </div><div>कुछ ही पल में </div><div>चकनाचूर हो गया </div><div>वो चेहरा </div><div>मैं हारकर </div><div>चौंक गया था ....</div><div>.........</div><div>..................</div><div>चेहरा पसीने तर ब तर <span id="TRN_223"><span id="TRN_227"></span> </span>था</div><div><div>मेरे सपने ने <br /></div><div>आज तोडा था मुझको </div><span id="TRN_225"><span id="TRN_230"></span></span></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-40261668998503196562010-07-14T11:07:00.000-07:002010-07-14T11:08:38.445-07:00न रे न मुझे भूख नहीं ........तू खा ले .............नीशू तिवार<div>सरकार द्वारा गरीबों के लए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पत्रों तक नहीं पहुच पाता ........जिसका प्रमुख कारण है भ्रस्ट लालफीताशाही ...........राहुल गाँधी ने माना की केंद्र सरकार का भेजा १ रुपया निचले स्तर तक मात्र ५ पैसे ही पहुच पाता है.........वर्तमान में गरीबों की संख्या में १.५ करोड़ का इजाफा हुआ है.........खाद्य सामग्री के सरकारी हिसाब अनुसार हर परिवार को ३५ किलो राशन मिलता है ........खाद्य मंत्रालय को अभी ५.३० करोड़ टन राशन की खरीद की आवश्यकता है..............जबकि ये पी यल कार्ड धारक को १५ किलो राशन और बी पी यल को ३० किलो राशन दिया जा रहा है.....लेकिन फिर भी गरीबो की संख्या में इजाफा हो रहा है.............</div><div></div><div></div><div>आज देश दुनिया में अपनी प्रतिभा और प्रद्योगिकी के लिए जाना जाता है लेकिन इसके उलट दुख इस बात का है की हमको अभी भी रोटी कपडा मकान के लिए तरसना हो रहा है.......पूर्व राष्ट्रपति कालम ने कहा था की देश २०२० तक विकसित हो जायेगा .........हो भी सकता है पर यह पन्नों तक सिमित रह कर.......ऐसे में गरीब तो गरीब ही रहेगा ...........कुछ लोग जरूर अमीर हो जायेगें .....लेकिन देश की दशा वैसे ही रहेगी ............क्या हम सभी को इन लोगों को साथ लेकर नहीं चलना चाहिए ? जिससे पुरे देश का विकास हो सके .......महामारी , भुखमरी और कुपोषण से जान न जाये ............ </div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-17170053606009535752010-07-10T10:46:00.000-07:002010-07-10T11:01:59.715-07:00भाजपा के खेवनहारा नितनी गडकरी की नैया बीच भवंर में फँसी ...........कैसे होगा २०१४ तक बेडा पार .........तुच्छ बयानबाजी से बाज आयें ......neeshoo tiwari<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDi0CY850SI/AAAAAAAAA1U/w7lpa9B-Eng/s1600/Nitin_gadkari_ye.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 214px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDi0CY850SI/AAAAAAAAA1U/w7lpa9B-Eng/s320/Nitin_gadkari_ye.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5492337698728956194" /></a><br /><br /><div>भाजपा के ९वे अध्यक्ष नितिन गडकरी का हालिया बयान " अफजल गुरू ' पर दिया गया......कांग्रेस का दमाद शब्द का इस््तेमाल किया गया ......भाषा और पद की गरिमा दोनों ही नितिन गडकरी को पीछे धकेंलते हैं .....ऐसी प्रतिकिर्या को किसी तरह से सराहा नहीं जा सकता है.........वैसे भाजपा के पिछले कुछ नेतावों की बात की जाये जिस तरह की बातें की गयी उससे भाजपा को नुकसान हुआ है यह देखा जा सकता है की इस तरह के वाकयुद्ध से घटिया राज्नित को बल मिलता है............सबसे पहले <span style="color:#ff0000;">आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा......लालकृषण अडवाणी की बात की जाये तो 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को धर्म निरपेक्ष बताए जाने पर संघ के दबाव में आडवाणी को भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा.......... और पार्टी को अगले लोक सभा चुनाव में हार का मुह देखना पड़ा .... </span></div><div><span style="color:#ff0000;">उमा भारती को भी पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते बाहर का रास्ता दिखाया गया ...और</span></div><div><span style="color:#ff0000;">फिर </span><span style="color:#ff0000;">पार्टी के वरिष्ट नेता जशवंत सिंह की २००९ में जिन्ना पर लिखी किताब ने उनके द्वारा पार्टी की मजबूती के लिए किये गये कार्य भूलकर " दूध से जैसे मख्खी " की तरह बाहर कर दिया गया .......</span></div><div><span style="color:#ff0000;">हाल ही में जसवंत सिंह की पार्टी में वापसी हुई है .......दुबारा से बयान आया की इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी ......फिर निकला ही क्यूँ ? </span></div><div><strong>या </strong></div><div><strong>इसको राजनाथ , अडवाणी और अरुण जेटली के फैसले की पुर्समिछा कहें .........यानि गलती को सुधारना ..............पर जसवंत को बाहर करने के लिए संघ ने भी भागीदारी निभाई थी ........यानी सुदर्शन जी का फैसला भी जल्दबाजी और आवेश में लिया गया था ........ </strong></div><div><strong> और </strong></div><div><strong>अभी नितनी गडकरी का बयान .......भाजपा इस समय वैसे ही सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में पार्टी को सोच समझ कर बात बोलनी चाहिए ...क्यूंकि भाजपा का चेहरा बदल गया है .........अब हिन्दू वादी भाजपा नहीं रही ........क्यूंकि भाजपा का गठन निम्न बैटन को लेकर हुआ था .......</strong></div><div><strong><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDi0BxSzY_I/AAAAAAAAA1M/g2E1KYmjLYY/s1600/32987777472126486870610.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 230px; height: 230px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDi0BxSzY_I/AAAAAAAAA1M/g2E1KYmjLYY/s320/32987777472126486870610.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5492337688083391474" /></a></strong></div><div><strong>भाजपा का निर्माण इतिहास </strong></div><div><span style="font-size:100%;">राष्ट्रों के उत्थान और पतन का दर्शन इतिहास का निर्माण करता है। भारतीय इतिहास के पन्ने संघ परिवार की स्पष्ट और विस्तृत संकल्पना का दिग्दर्शन करते हैं जिसके लंबे संघर्ष की कहानी सभी के लिए प्ररेणा का स्त्रोत है। भारत भारती की महान सभ्यता के गीत श्रीलंका से जावा व जापान तथा तिब्बत व मंगोलिया से चीन और साइबेरिया में गाए जाते रहे हैं। इसकी सभ्यता का आकलन कर हम पाते हैं कि हूण और शकों द्वारा इसकी सभ्यता रक्तरंजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई लेकिन इसने टूट कर बिखरना नहीं सीखा। इसे जीवंत बनाए रखने मे विजय नगर साम्राज्य, शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा गुरू गोबिन्द सिंह के अलावा अनगिनत राष्ट्रनायकों के बलिदान एवम् महानायकों की अक्षुण्ण भूमिका रही है।</span><span style="font-size:100%;"></span><span style="font-size:100%;"><br /></span><span style="font-size:100%;"></span><span style="font-size:100%;"><br /></span><span style="font-size:100%;">हाल के वर्षों में इस महान प्रेरणा की मशाल को लेकर स्वामी दयानन्द, महर्षि अरविंद, लोकमान्य तिलक,तथा स्वामी विवेकानन्द ने ज्ञान का ज्योतिर्मय प्रकाश फैलाया जिसे बाद में महात्मा गांधी तथा अन्य लोकनायकों ने जन-जन तक इसे प्रकाशित किया। इस विरासत को आगे बढ़ाने में डॉ. हेडगेवार की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिन्होने 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। 1940 में में गुरूजी द्वारा इस महान विरासत को आगे पहुंचाया गया। उनके दर्शन में भारतीय मुसलमानों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी लेकिन वे जानते थे कि इससे पूर्व के शासकों का रवैया दुर्भावनापूर्ण रहा और उन्होने हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए बाध्य किया। उनकी स्पष्ट धारणा थी कि सभी को न्याय मिले लेकिन किसी एक पक्ष को अनुचित तरीके से खुश करने के लिए दूसरे पक्ष को कुचला न जाए। </span><strong><span style="font-size:100%;">इसके साथ ही उनका मानना था कि हम हिंदू राष्ट्र थे और हिंदू राष्ट्र हैं और महज़ मज़हबी विश्वास में परिवर्तन का अभिप्राय राष्ट्रीयता में परिवर्तन से नहीं लगाया जाना चाहिए।</span><span style="font-size:100%;"></span><span style="font-size:100%;"><br /></span><span style="font-size:100%;"></span><span style="font-size:100%;"><br /></span></strong></div><div><span style="font-size:100%;">पार्टी की विचारधारा में बदलाव किसी भी तरह से फायदे मंद नहीं रहा है...इस बात को गडकरी समझे तो बेहतर होगा ...........और भाजपा को २०१४ के लोक सभा में अच्छे परिणाम दे सकते हैं वरना जस का</span><span style="font-size:85%;"> तस ......</span></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-9006969672637969982010-07-09T05:18:00.000-07:002010-07-09T10:23:45.240-07:00राजधानी दिल्ली की महिलाओ के साथ सबसे ज्यादा यौन दुर्व्यवहार ......................क्या करें हम ? neeshoo tiwari<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDdakJyysXI/AAAAAAAAA1E/SyoaJwuiLsk/s1600/rape_victim_400.jpg"><img style="float:right; margin:0 0 10px 10px;cursor:pointer; cursor:hand;width: 256px; height: 230px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TDdakJyysXI/AAAAAAAAA1E/SyoaJwuiLsk/s320/rape_victim_400.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5491957847752356210" /></a><br /><div>राजधानी दिल्ली की महिलाओं को देख हम विश्व के तमाम शहरों की महिलाओं को पीछे छोड़ते हैं ....पहनावा ....बोलचाल और रहन सहन देखकर महिला सशक्तिकर्ण का जुमला यथार्थवादी सिध्ह होता दीखता है......ताजा सर्वे को देखें तो करीब ७० फीसदी महिलाएं यौन दुर्व्यवहार की शिकार हैं .....आंकड़े बताते हैं की यौन दुर्व्यवहार की शिकार १५ से १९ वर्ष के बीच की लड़कियां हैं .........‘सेफ़ सिटीज़ बेसलाइन सर्वे – दिल्ली 2010’ के तहत ५,०१० लोगों से जिनमें ३,८१६ महिलाएँ, ९४४ पुरुष और २५० यौन प्रताड़ना के मिले-जुले प्रत्यक्षदर्शी थे....यानि हम अपने आस पास हो रहे दुर्व्यवहार को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं ........<br /></div><div><strong></strong></div><div><strong>सर्वेक्षण के नतीजे</strong><br />1 ....स्कूल और कॉलेज की छात्राएँ और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएँ सबसे ज़्यादा प्रभावित<br />2........जन-यातायात के साधनों में सर्वाधिक घटनाएँ<br />3.......पाँच में से तीन महिलाएँ रात के अलावा दिन में भी यौन प्रताड़ना का शिकार हुईं<br />4.......कमज़ोर बुनियादी ढांचा सबसे बड़ा कारण<br />5.......आमतौर पर महिलाओं को अपनी सुरक्षा ख़ुद ही करनी पड़ती है<br />6........समस्या से लड़ने के लिए जन अभियान की ज़रुरत<br /></div><div><strong>स्रोत:</strong> दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग, जागोरी, यूनीफ़ैम और यूएनएच का सर्वे<br /><br /></div><div><strong>समाज में शिक्छा का आभाव है.......जागरूकता की कमी है </strong>यह बात मानी जा सकती है.........लेकिन राजधानी दिल्ली जैसे शहर में तो लोग जागरूक और पढ़े लिखे हैं .......फिर भी ऐसे आकडे दुखद स्थिति की ओर इशारा करते हैं ...........यानी देश की राजधानी की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं ........वैसे भी आये दिन टी वी और समाचार पत्र में हम दुराचार , हत्या , लूटपाट की खबरे पढ़ते हैं लेकिन अगले ही पल सब भूल जाते हैं क्यूंकि ये खुद अपने साथ नहीं हुआ होता ..........पर दिल्ली वालों अब आपकी बारी हो सकती हैं .<strong>इस लिए अपनी रक्छा खुद करें ........सरकार के भरोसे न रहें .........अपने बच्चो और घर की महिलाओं को आत्म रक्छा के लिए तैयार करें ....... </strong></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-54979504684895061212010-07-02T10:26:00.000-07:002010-07-02T10:31:44.946-07:00ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा होकर नए और सशक्त रूप में आ रहा है........अस्थाई विराम .मेरे विचार में यह सही कदम..........neeshoo tiwari<div>ब्लॉग की जब भी बात होती है तब हमको जरुरत पड़ती है एक ऐसे माध्यम की जहाँ पर सारे ब्लॉग को एक साथ पढ़ा जा सके .....यानि एग्रीगेटर .......और बहुत सारे एग्रीगेटर के आने के बाद भी <strong>ब्लोग्वानी का अपना अलग और विशेष स्थान है......कुछ दिनों से ब्लोग्वानी पर अस्थाई विराम लगा हुआ है....</strong>......<strong><span style="color:#ff0000;">.मेरे विचार में यह सही कदम है.</span></strong>........क्यूंकि जब हम लगातार काम करते हैं तो कुछ थकावट महसूस करते हैं ..ऐसे में हमको कुछ आराम की आवश्यकता होती है...........अब ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा हो कर नए और सशक्त रूप में आएगा ........</div><div></div><div>प<span style="color:#ff0000;"><strong>संद और नापसंद .........पढ़ा जाना और दुत्कार दिया जाना ..........सबसे हॉट या सबसे निचे आप की पोस्ट होना ( ब्लोगर की सहमती और असहमति इस पर ज्यादा है)........और सबसे महत्वपूर्ण की ब्लोग्वानी से हिंदी को कितना फायदा है?</strong></span> ब्लोग्वानी ने अंतरजाल पर हिंदी को न्य रूप दिया और आगे भी देता रहेगा .............हाँ कुछ असामाजिक तत्त्व तो हर जगह होते हैं जो नहीं कहते की अच्छा कार्य किया जाये...पर इन लोगों पर ध्यान दिए बिना ...सार्थक प्र प्यास किया जायेगा .............और जल्द ही ब्लोग्वानी को आप फिर से देख पाएंगे ..............साथ ही <strong><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/2010/07/30.html">जूनियर ब्लोगर एसोसिएशन 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध है........ </a></strong></div><div><strong><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/2010/07/30.html">जूनियर ब्लोगर एसोसिएशन </a></strong></div><div><strong>की</strong> <strong> बैठक का सबसे अहम और तृतीय प्रस्ताव ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे रखा गया। ब्लागवाणी के अचानक बंद सम्बन्ध मे चिंता व्यक्त की गई। ब्लागवाणी के बंद होने के कारणो का पता लगाने के लिये असीमित अधिकारों वाली जॉच समिति बनाई गई है और यह जाँच समिति पूर्ण अधिकार के साथ कार्य व हर किसी के साथ वार्ता करने का अधिकार होगा।</strong></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-31094578279338851592010-06-17T09:23:00.000-07:002010-06-17T09:43:27.894-07:00मठाधीश सपनेहु सुख नाहीं<strong style="font-weight: normal;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span></span></strong><strong style="color: rgb(0, 0, 0); font-weight: normal;"><span>से</span></strong><strong style="font-weight: normal;"><span style="color: rgb(255, 0, 0);"> <span style="color: rgb(0, 0, 0);">से</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">मठाधीश</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">इतने</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">डर</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">गये</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">है</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">कि</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">रात</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">के</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">सपने</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">मे</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span><span style="color: rgb(0, 0, 0);">भी</span><span style="color: rgb(0, 0, 0);"> </span></span></strong><strong style="font-weight: normal; color: rgb(0, 0, 0);"></strong><strong style="font-weight: normal;"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a></strong><strong style="font-weight: normal;"></strong> की पोस्ट ही नज़र आती है। <strong style="font-weight: normal;">इधर </strong><strong style="font-weight: normal;"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a></strong><strong style="font-weight: normal;"></strong><strong style="font-weight: normal;"> पोस्टे आती बाद में है नापंसद का चटका लगाने वाले पहले से बैठे मिल जाते है। अभी हाल मे ब्लागवाणी पर देखा तो 3 नापंसद के चटके जो पोस्ट आने से पहले मठाधीशो के गले मे अटके थे, वो </strong><strong style="font-weight: normal;"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a></strong><strong style="font-weight: normal;"> की पोस्ट पर नज़र आ रहा है। नापंसद के चटके के लिये SMS पर SMS भेजे जा रहे है वैसे दूबे भी ने कन्फर्म किया है कि के चटके वाला SMS उन्हे भी आया है, रोमिंग के कारण उन्होने फोन ही स्विच आफ कर दिया है।<br /><br /></strong><div style="text-align: center;"><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TBpPRxFYEhI/AAAAAAAAA0s/i-oJHdqoqes/s1600/bura%2Bna%2Bmano%2Bholi%2Bhai1.jpg"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 320px; height: 154px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_2IY2k0UxMVc/TBpPRxFYEhI/AAAAAAAAA0s/i-oJHdqoqes/s320/bura%2Bna%2Bmano%2Bholi%2Bhai1.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5483782662929256978" border="0" /></a><br /></div><strong style="font-weight: normal;">हमारे <span style="font-weight: bold;">ब्लाग गुरू </span>कितनी अच्छी बात कह गये है कि <span style="font-weight: bold;">मठाधीश सपनेहु सुख नाहीं मतलब </span>कि मठाधीशो के सपने मे भी अब<span style="font-weight: bold;"> </span></strong><strong style="font-weight: normal;"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a> के गठन के बाद सुख नही दिखेगा यही कारण है कि </strong><strong style="font-weight: normal;"><span style="font-weight: bold;"> </span></strong><strong style="font-weight: normal;"><a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/">जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन</a></strong><strong style="font-weight: normal;"> की पोस्टो प्रकाशन के बाद दौरे तेज हो जाते है। अब मठाधीश सावधान रहे </strong>क्योकि<a href="http://juniorblogassociation.blogspot.com/2010/06/blog-post_17.html"> इलाहाबाद धोषणा पत्र - जबरन बंद करवाये जायेगें मठाधीशों के अवैध मठ</a> पर कार्यवाही तय है।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-4058741992995012637.post-16707876629994183672010-06-10T11:04:00.000-07:002010-06-10T11:06:22.947-07:00इ भोलोगिंग का होई ...........अपनी तो जैसे तैसे ...थोड़ी ऐसे या वैसे आपका क्या होगा ? neeshoo tiwari<div>अपनी तो जैसे तैसे ...थोड़ी ऐसे या वैसे आपका क्या होगा ? क्या होगा ये तो सब को पता है......बोलो बोलो .......बोलो न ...प्प्लीज़ ......हाँ पता है.......पर आदत से तो मजबूर हैं न .........अब जब तक पोस्ट सबसे ऊपर न देखिगे तब तक यस्यम्यास फ़ोन करके दुकान चलनी होती वहहै बबुआ .........अच्छा सच कहा आपने ........तो और का .........का कौनो नवा नवा थोड़े ही आये हैं भोलोगर बनने...........अच्छा ........</div><div>अच्छा ई बताइए बबुआ की कुछ लौंडे इ इलाहाबाद में का करिय का बात पेल रहे हैं ..............अरे बुडबक .......कर दी ना बात कई बतकही ..........कुछ सुना न जाना बस भक से मुह खोल दिया ................ए ऊ लौड़े तो कुछ बना रहे हैं ........अच्छा खाने के लिए का ............नहीं तुम तो हमेसा खाएँ पर लगा राहत हो .......अच्छा फिर का बनावट है ..बतावा ना .................अच्छा एक सरत है बबुआ ...हामरे पोस्ट पर चटका और कमेन्ट दिये को होई ...समझा की नहीं ...अच्छा ठीक हैं .......इ ला चार पांच एक साथे ठेल देब .........अब तो बका न ...........तौ सुना ..........१५ का इस लौड़े मिलकर हुमरे तोहरे खिलाफ संगठन बनावट हैं........अब तौ दुकान लगत बा बंद होई जाये ........अच्छा तौ फिर का करी ..कहा न ............बाद दम दबा के निकल लो ...........समझे की नहि...........इ भोलोगिंग का होई ........... </div><div><strong><span style="color:#3366ff;">mahasakti + junior bloger assosiation</span></strong></div><div><strong><span style="color:#ff0000;">अब जो लोग भी "जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन तथा उससे जुडे किसी भी व्यक्ति का नाम करते हुये अभद्र पोस्ट लिखेगा तो अपनी भद्द करवाने का खुद जिम्मेदार होगा", जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन का प्रत्येक सदस्य अपना विरोध ऐसे वाहियात पोस्टो पर साम-दाम-दण्ड-भेद के साथ दर्ज करने के लिये स्वतंत्र है।</span></strong></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.com7