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Friday, May 9, 2008

छणिकाएं

१-
दिल के तूफान को किसने देखा,
ये तो सिर्फ आखों का धोखा।
छूना चाहता है समुन्दर चांद
कोउठती हुयी लहरों को किसने देखा है।।
२-
जीवन के होते हैं कई रंग,
बचपन ,जवानी बुढ़ापे में भी जंग।
ये जंग तो पुरानी है,
जीवन एक अधूरी सी कहानी है,
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
३-
पाने की चाहत , खोने का गम।
दुनिया में होते है इतने ही गम।
किसी से नफरत किसी से चाहत,
तनहाई का आलम बड़ा बेरहम।।


प्रियंका दीक्षित की धारदार कलम से