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Saturday, September 22, 2007

हंसगुल्ले पार्ट-२


एक बार एक संता एक फिल्म हाल में जुरासिक पार्क देखने गया। जैसे ही डायनासोर अपना शिकार करते,वैसे ही संता अपनी सीट के नीचे छिप जाता।
दूसरी सीट पर बैठे एक व्यक्ति संता से कहा,'डरो मत , ये फिल्म है।
संताः मुझे तो पता है कि यह फिल्म है , पर डायनासोर को नहीं पता ना ।



मां (चिटूं से) उठो चिटूं, स्कूल के लिए देर हो जाएगी।
चिटूं मैं आज स्कूल नही जाना चाहता।
मां पर क्यों?
चिटूं मां ,' मैने अभी सपना देखा कि मैं १०० मीटर की दौड़ में दौड़ रहा हूँ।
मां तो क्या हुआ ?
चिटूं अरे मां इतनी लम्बी रेस के बाद मै बहुत थक गया हूँ।




एक बार अजीत अपनी बीबी के साथ आटि रिक्शा में कही जा रहा था।
आटो वाले ने जैसे ही शीशा सेट किया, अजीत चिल्लाया ओssए तू मेरी बीबी को देखता है। चल तू पीछे बैठ , आटो मै चलाता हूँ।



राबर्ट बास अब मै मिशन पर कैसे जाऊ? हैडएक हो गया है
अजीत राबर्ट हेड एक हो या दो , पर काम तो करना होगा।



एक बार एक व्यक्ति हेडमास्टर के पास गया और देखा कि वह अपने कुत्ते के साथ शतंरज खेल रहा है। लगता है आपका कुत्ता काफी बुद्धिमान है। उस व्यक्ति ने कहा।
' नही- नहीं' हेडमास्टर बोला," मै पहले भी तीन बाजियाँ जीत चुका हूँ।

3 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

वाह भई! आप भी संता-बनता के पंखे हैं!

इष्ट देव सांकृत्यायन said...
This comment has been removed by the author.
Pramendra Pratap Singh said...

मजेदार भाई,